सुपरकंप्यूटर के बिना भारत का आधुनिक विकास संभव नहीं था, इसलिए भारतीय कंप्यूटर वैज्ञानिक डॉ विजय भाटकर ने सुपर कंप्यूटर का निर्माण किया। इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे PARAM 8000 सुपर कंप्यूटर की विशेषताएं और भारत के पहले सुपर कंप्यूटर का इतिहास क्या है।
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परम 8000 के बारे में जानने से पहले यह जरूर पढ़ लें कि सुपर कंप्यूटर क्या है?
भारत का पहला सुपर कंप्यूटर – PARAM 8000
भारत में ‘परम’ सीरीज के सुपर कंप्यूटर का निर्माण सी-डैक (CDAC) संस्था द्वारा किया गया है, यह संस्था पुणे में स्थित है। परम 8000 सी-डैक द्वारा विकसित पहला सुपर कंप्यूटर था, जिसका निर्माण 1991 में किया गया था, इसके निर्माण का श्रेय सी-डैक के निर्देशक डॉ. विजय भाटकर को जाता है।
परम शब्द का मतलब संस्कृत भाषा में ‘सर्वोच्च’ होता है। जब परम 8000 सुपर कंप्यूटर पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ तब उस समय यह दुनिया का दूसरा सबसे शक्तिशाली कंप्यूटर था, इस सुपर कंप्यूटर को बनाने में सबसे बड़ा योगदान डॉ. विजय भाटकर का था, इसलिए उन्हें फादर ऑफ इंडियन सुपर कंप्यूटर कहा जाता हैं।
परम 8000 सुपर कंप्यूटर की विशेषताएं
- PARAM 8000 भारत का पहला सुपर कंप्यूटर था, जिसे 1991 में बनाया गया था।
- जब इसका निर्माण किया गया था तब यह दुनिया का दूसरा सबसे शक्तिशाली कंप्यूटर हुआ करता था।
- परम 8000 को बनाने में 3 साल लगे और 3 करोड़ की लागत आई।
- परम 8000 सुपरकंप्यूटर आकार में इतना बड़ा है कि यह एक बड़े कमरे को पूरी तरह से घेर सकता है।
परम सुपर कंप्यूटर का उपयोग
PARAM सुपर कंप्यूटर का उपयोग अन्य क्षेत्रों में किया जा रहा है – वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में अनुसंधान और डिजाइन के लिए, पेट्रोलियम उद्योग में तेल के भंडार का पता लगाने के लिए, खनिज उद्योग में खनिजों का पता लगाने के लिए, विमान डिजाइन करने के लिए, मौसम विज्ञान में मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए, परमाणु परीक्षण आदि।
परम सुपर कंप्यूटर के फायदे
PARAM 8000 सुपरकंप्यूटर के निर्माण के बाद, भारत में प्रौद्योगिकी गतिविधियों में वृद्धि हुई, जहाँ दुसरे कंप्यूटर किसी काम को करने में काफी समय लगाते थे वही सुपरकंप्यूटर उसी काम को मिनटों में कर देते थे। सुपर कंप्यूटर का सबसे बड़ा फायदा अंतरिक्ष अनुसंधान मौसम विज्ञान और परमाणु परीक्षण में देखने को मिला। इसके कारण भारत ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
परम 8000 सुपर कंप्यूटर का इतिहास
1984 में जब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने तो उनका सबसे महत्वपूर्ण प्रयास देश को सुपर कंप्यूटर की ताकत देना था। इस वक्त सुपर कंप्यूटर कुछ गिने-चुने देशों के पास ही था, सुपर कंप्यूटर की कमी को पूरा करने के लिए देश के प्रधानमंत्री ने सुपर कंप्यूटर खरीदने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन से बात की। इस समय अमेरिका के पास दुनिया का सबसे शक्तिशाली ‘क्रे’ सुपरकंप्यूटर था, अमेरिका ने भारत को सुपर कंप्यूटर देने से इनकार कर दिया था।
भारत को तकनीकी मामलों में उच्च स्तर पर जाने के लिए एक सुपर कंप्यूटर की आवश्यकता थी, इसलिए भारत के कंप्यूटर वैज्ञानिक डॉ विजय पांडुरंग भटकर ने राजीव गांधी के सामने अपना सुपर कंप्यूटर बनाने की बात रखी, जिसे प्रधानमंत्री ने स्वीकार कर लिया।
तब 1988 में council of scientific and industrial research ने सी-डैक संस्था की स्थापना की, इस संस्था ने तीन करोड़ रुपये की लागत एवं 3 साल का वक्त लेते हुए एक सुपर कंप्यूटर बनाया और आखिरकार 1991 में भारत के पहले सुपर कंप्यूटर का जन्म हुआ। जिसका नाम परम 8000 रखा गया। इसमें सबसे बड़ी बात यह थी कि आजादी के महज़ 44 सालों बाद हमने एक सुपर कंप्यूटर विकसित कर लिया।
FAQ
परम सुपर कंप्यूटर को भारत में Centre for Development of Advanced Computing (C-DAC) द्वारा विकसित किया गया था। जिसका नेतृत्व डॉ. विजय पांडुरंग भाटकर ने किया था।
भारत का पहला सुपर कंप्यूटर, PARAM 8000 को 1991 में बनाया गया था।
भारत का सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर Param Siddhi है।
भारत का सुपर कंप्यूटर परम 8000 पुणे में स्थित है?
डॉ विजय भाटकर को भारत के पहले सुपर कंप्यूटर, परम 8000 के विकास में उनके अग्रणी कार्य के लिए व्यापक रूप से सुपर कंप्यूटर का जनक कहा जाता है। डॉ भाटकर एक कंप्यूटर वैज्ञानिक और एक भारतीय इंजीनियर हैं, जो सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) के निदेशक मंडल के संस्थापक और अध्यक्ष हैं।
भारत में सुपर कंप्यूटर निर्माण करने वाली संस्था का नाम “सेंट्रल डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कम्प्यूटिंग (सी-डैक)” है। यह एक सरकारी अनुसंधान और विकास संस्था है।
CDAC का पूरा नाम “सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग” है
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