आज इंटरनेट हमारे दैनिक जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था। इंटरनेट का इतिहास ARPANET (अरपानेट) के साथ शुरू हुआ। अरपानेट कम्प्यूटरों को जोड़कर नेटवर्क स्थापित करने का पहला सफल प्रयास था जो आगे चलकर इंटरनेट की नींव बनीं। इस लेख में, हम आपको यह बताएँगे कि ARPANET क्या था, इसका उद्देश्य, यह कैसे आया, और आधुनिक तकनीक पर इसका क्या प्रभाव है।
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ARPANET क्या है?
ARPANET का अर्थ है Advanced Research Projects Agency Network, यह पहला ऑपरेशनल पैकेट स्विचिंग नेटवर्क और आधुनिक इंटरनेट का शुरुवाती तकनीक था। अरपानेट की स्थापना अमेरिका के रक्षा विभाग ने सन 1969 में किया था। यह एक ऐसा प्रयोग था जिसे रक्षा विभाग ने नेटवर्किंग तकनीक के विकास और परिक्षण तथा उनके अन्वेषण के लिए किया गया था।
इसे सर्वप्रथम अमेरिका के चार प्रमुख विश्वविद्यालयों के कम्प्यूटर्स को आपस में जोड़कर बनाया गया था। इसके द्वारा वे अपने डाटा व सूचनाओं का आदान प्रदान करते थे। सन 1972 में ARPANET में लगभग 32 होस्ट कंप्यूटर जुड़ चुके थे। इसके पश्चात इसका नाम ARPA से DARPA (Defense Advanced Research Projects Agency) कर दिया गया।
सन 1973 में अरपानेट में अमेरिका के अलावा इंग्लैण्ड और नार्वे देश भी जुड़ चुके थे। बाद में ARPANET से ही इंटरनेट की विकास ने जन्म लिया।
अरपानेट का उद्देश्य यह था की यदि नेटवर्क का कोई भी भाग कार्य करना बंद कर दे तो भी नेटवर्क चालु रहे। इसके लिए कुछ नियम (Protocol) भी बनाये गए जिसे TCP के नाम से भी जाना जाता है। ARPANET एक रीढ़ नेटवर्क की तरह कार्य करता है जिसमे विभिन्न छोटे नेटवर्क आपस में जुड़े होते थे व आपस में सूचनाओं का आदान प्रदान करते थे। समय के साथ साथ अरपानेट की कार्यप्रणाली में छोटे छोटे विकास होते रहे सन 1990 में इसे भंग कर दिया गया।
ARPANET का उद्देश्य
ARPANET का मुख्य उद्देश्य संचार का एक विश्वसनीय साधन प्रदान करना था जो परमाणु हमले की स्थिति में भी कर सके। उस समय, संचार नेटवर्क केंद्रीकृत (centralized) थे, जो की परमाणु हमला होने पर आसानी से बाधित हो सकता था।
हमले की स्थिति में संचार जारी रहे इसलिए ARPANET को एक विकेन्द्रीकृत नेटवर्क के रूप में डिज़ाइन किया गया जो किसी भी बाधित नोड्स (disrupted nodes) के आसपास डेटा पैकेट को फिर से रूट कर सकता था।
ARPANET कैसे काम करता है?
ARPANET में पैकेट स्विचिंग तकनीक का उपयोग किया गया था, जिसमें डेटा को छोटे पैकेट में तोड़कर उन्हें उनके डेस्टिनेशन पर भेजा जाता है। प्रत्येक पैकेट को efficient route का उपयोग करके नेटवर्क के साथ भेजा जाता था, जो नेटवर्क की स्थिति बदलने के साथ dynamically बदल सकता था।
ARPANET का इतिहास
विकेंद्रीकृत (decentralized) संचार नेटवर्क का विचार पहली बार 1964 में पॉल बारन द्वारा प्रस्तावित किया गया था। उन्होंने संदेशों को छोटे पैकेट में तोड़ने और उन्हें नेटवर्क में भेजने के लिए पैकेट स्विचिंग तकनीक का उपयोग करने का सुझाव दिया।
Arpanet की ओर पहला कदम 1965 में आया जब Advanced Research Projects Agency (ARPA) ने ARPA नेटवर्क नामक एक कंप्यूटर नेटवर्क के विकास के लिए कोष जारी किया। जिसके बाद सन 1966 में ARPANET के विकास की शुरुवात हुई, और नेटवर्क को सन 1969 में चालू किया गया।
इसमें चार मुख्य नोड्स थे: कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय लॉस एंजिल्स (UCLA), स्टैनफोर्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट (SRI), कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सांता बारबरा (UCSB), और यूटा विश्वविद्यालय। इस नेटवर्क पर भेजा गया पहला संदेश “लॉगिन” था, जिसे UCLA में टाइप किया गया था और SRI में प्राप्त किया गया था।
1980 के दशक में, Arpanet की जगह NSFNET ने ले लिया, जो की अरपानेट की तुलना में तेज और बेहतर कनेक्टिविटी वाला था।
ARPANET का डिजाइन और विकास
ARPANET के डिजाइन और विकास में रॉबर्ट टेलर, लॉरेंस जी रॉबर्ट्स और विंट सर्फ सहित कई प्रमुख व्यक्ति शामिल थे। नेटवर्क में hierarchical addressing scheme का उपयोग किया गया, जिसमें नेटवर्क पर प्रत्येक कंप्यूटर को एक अद्वितीय एड्रेस दिया गया था। अरपानेट ने ईमेल और फ़ाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल की अवधारणा भी पेश की, जो आज भी उपयोग में हैं।
ARPANET के शुरुआती उपयोगकर्ता मुख्य रूप से शोधकर्ता और शिक्षाविद थे जिन्होंने डेटा साझा करने और परियोजनाओं पर सहयोग करने के लिए नेटवर्क का उपयोग किया था। नेटवर्क के अनुप्रयोगों में ईमेल, फ़ाइल ट्रांसफरऔर रिमोट लॉगिन सुविधाएँ थीं।
अरपानेट में वर्षों में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन और सुधार हुए। 1969 में, पहला Interface Message Processor (IMP) विकसित किया गया था, जिसने नेटवर्क को अन्य नेटवर्क से कनेक्ट करने की अनुमति दी थी। यह एक बड़ी सफलता थी, क्योंकि इसने अरपानेट को यूरोप सहित अन्य नेटवर्क से जुड़ने की अनुमति दी। इस प्रकार ARPANET ने वर्ल्ड वाइड वेब के विकास का मार्ग भी बनाया, जिसकी वजह से ही इंटरनेट आज आम जनता के लिए सुलभ हो पाया है।
1970 के दशक में, विंट सर्फ और रॉबर्ट कहन ने मिलकर अरपानेट के लिए Transmission Control Protocol/Internet Protocol (TCP/IP) प्रोटोकॉल विकसित किया गया। जिसने विभिन्न प्रकार के कंप्यूटरों को एक दूसरे के साथ संवाद करने की अनुमति दी थी। यह प्रोटोकॉल आज भी इंटरनेट की रीढ़ के रूप में उपयोग किया जाता है।
अरपानेट का महत्व
अरपानेट इंटरनेट के आविष्कार से पहले बनाया गया नेटवर्क सिस्टम था जो की प्रौद्योगिकी की दुनिया में गेम-चेंजर साबित हुई। अरपानेट ने इंटरनेट के विकास में सबसे अहम भूमिका निभाई। यह पैकेट स्विचिंग का उपयोग करने वाला पहला नेटवर्क था।
Arpanet ने ईमेल के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका उपयोग पहली बार 1970 के दशक की शुरुआत में नेटवर्क पर किया गया था। ईमेल बहुत तेजी से नेटवर्क पर सबसे लोकप्रिय अनुप्रयोगों में से एक बन गया और आज तक इंटरनेट का एक अभिन्न अंग बना हुआ है।
ARPANET के अनुप्रयोग
आधुनिक तकनीक पर ARPANET के प्रभाओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। अरपानेट के ईमेल और फ़ाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल ने ईमेल और इंस्टेंट संदेश जैसे आधुनिक संचार साधनों की नींव भी रखी। प्रौद्योगिकी की दुनिया पर इस नेटवर्क का प्रभाव आज भी जारी है, जिसकी वजह से हर साल नए innovations और अनुप्रयोग विकसित हो रहे है।
निष्कर्ष
ARPANET कंप्यूटर को जोड़ने और एक नेटवर्क स्थापित करने का पहला सफल प्रयास था जो बाद में इंटरनेट की नींव बना। नेटवर्क की decentralized architecture, इसके प्रोटोकॉल TCP और पैकेट स्विचिंग तकनीक ने आधुनिक इंटरनेट के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।
प्रौद्योगिकी की दुनिया पर अरपानेट का प्रभाव आज भी देखा जा सकता है, जिसकी वजह से हर साल नए अविष्कार और अनुप्रयोगों को विकसित किया जा रहा है। जबकि अरपानेट का मूल उद्देश्य परमाणु हमले की स्थिति में संचार का एक भरोसेमंद साधन प्रदान करना था। आधुनिक प्रौद्योगिकी और समाज पर इसका प्रभाव दूरगामी और परिवर्तनकारी रहा है।
FAQs
ARPANET का पूरा नाम है Advanced Research Projects Agency Network.
अरपानेट 1969 में बनाया गया था।
ARPANET संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग की Advanced Research Projects Agency (ARPA) द्वारा बनाया गया था।
अरपानेट का उद्देश्य संचार का एक विश्वसनीय साधन प्रदान करना था जो परमाणु हमले का सामना कर सके।
ARPANET में पैकेट स्विचिंग तकनीक का उपयोग किया गया था, जिसमें डेटा को छोटे पैकेट में तोड़ना और उन्हें उनके डेस्टिनेशन पर भेजना शामिल था।
अरपानेट के कुछ शुरुआती अनुप्रयोगों में ईमेल, फ़ाइल शेयरिंग और रिमोट लॉगिन क्षमताएं शामिल थीं।