FASTag क्या है? और कैसे काम करता है

तेजी से भागती दुनिया में, टेक्नोलॉजी ने कई अप्रत्यक्ष तरीकों से हमारे जीवन को आसान बनाया है। “फास्टैग” एक ऐसा तकनीक है जिसने भारतीय राजमार्गों (highways) पर टोल कलेक्शन के तरीके को बदल दिया है।

Fastag क्या है?

फास्टैग राजमार्गों (highways) पर टोल भुगतान प्रक्रिया में तेजी लाने और कैशलेश बनाने के लिए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (NHAI) द्वारा 2014 में पेश किया गया एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है। इसे NHAI ने दिसंबर 2019 में हर वाहन के लिए अनिवार्य कर दिया था।

असल में यह रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक आधारित एक प्रीपेड रिचार्जेबल टैग है जिसे वाहनों की विंडशील्ड पर चिपकाया जाता है। फास्टैग को बचत खाते या चालू खाते से जोड़ा जा सकता है। यानी की इस स्टिकर में वाहन मालिक के बैंक खाते या प्रीपेड वॉलेट अकाउंट से जुड़ा एक विशिष्ट पहचान संख्या होता है।

Fastag कैसे काम करता है?

फास्टैग प्रणाली वाहन की विंडशील्ड से जुड़े स्टिकर या टैग का पता लगाने के लिए RFID तकनीक का उपयोग करती है।

जब फास्टैग वाला कोई वाहन टोल प्लाजा से गुजरता है, तो टोल बूथ पर लगा RFID रीडर टैग का पता लगाता है और लिंक किए गए खाते से टोल राशि काट लेता है, और बूथ बैरियर हटा दिया जाता है, जिससे वाहन बिना रुके गुजर सकता है।

Fastag के फायदे

देश में कैशलेश सिस्टम को बढ़ावा देने के साथ साथ फास्टैग के अनेकों फायदें हैं :

सुविधा

फास्टैग यात्रा के दौरान टोल टैक्स देने के लिए इंतजार करने की परेशानी को दूर करके समय की बचत करता है। यानी की अब मैन्युअल रूप से टोल का भुगतान करने और रोकने की आवश्यकता नहीं होती है।

कैशलेस लेनदेन

फास्टैग भारत में कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है क्योंकि इसके माध्यम से उपयोगकर्ता सीधे अपने फास्टैग खातों में राशि प्रीलोड करते हैं, जो की औटोमाटिकली टोल बूथों पर भुगतान हो जाती है जिसकी वजह से नकदी ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

छूट और ऑफ़र

फास्टैग के उपयोगकर्ता को अक्सर कई विशेष छूट और कैशबैक ऑफ़र मिलते हैं, जिससे राजमार्ग पर टोल टैक्स किफायती भी हो जाता है।

फास्टैग रिचार्ज कैसे करते है?

फास्टैग को ऑनलाइन या मोबाइल ऐप के जरिए रिचार्ज किया जा सकता है। रिचार्ज करने के लिए, उपयोगकर्ताओं को अपनी फास्टैग आईडी, वाहन नंबर और रिचार्ज की जाने वाली राशि दर्ज करनी होती हैं, जिसे वे क्रेडिट या डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग या यूपीआई का उपयोग भुगतान कर सकते है।

Fastag और डिजिटल इंडिया

फास्टैग डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने और राजमार्गों पर नकद लेनदेन को आवश्यकता को समाप्त करने, टोल संग्रह में पारदर्शिता लाने के लिए यह सरकार की एक “डिजिटल इंडिया” पहल है।

फास्टैग कैसे बनवाएं

फास्टैग को टोल प्लाजा, CSC सेंटर, परिवहन केंद्रों, बैंक शाखाओं से या आधिकारिक फास्टैग वेबसाइट या मोबाइल ऐप के माध्यम से ऑनलाइन खरीदा जा सकता है। फास्टैग खरीदने के लिए अपने वाहन का विवरण, पहचान पत्र और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जैसी आवश्यक दस्तावेज की जानकारी देकर फास्टैग प्राप्त कर सकते हैं।

फास्टैग के लिए जरूरी दस्तावेज

फास्टैग बनाने के लिए, निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता पद सकती है:

  • Proof of identity (Aadhaar, PAN, Voter ID Card, Passport or Driving Licence)
  • Passport size photo of the vehicle owner
  • Vehicle Registration Certificate
  • Vehicle insurance

निष्कर्ष

फास्टैग हमारे देश भारत में टोल का भुगतान करने का एक सुविधाजनक और कैशलेस तरीका है। इसकी वजह से अब टोल बूथ पर ड्राइवरों को रुकने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, जिसकी वजह से यह समय तो बचाता ही है साथ ही ट्रैफिक को भी कम करता है।

इस प्रणाली का उपयोग करना आसान है और कैशलेस लेनदेन, छूट और समय की बचत सहित इसके कई लाभ है। असल मायनों में फास्टैग ने भारत में टोल एकत्र करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव किये है।

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