1962 में मैसाचुसेट्स तकनीकी संस्थान के जेसीआर लिंकप्लाइडर ने एक ऐसी संकल्पना को ज्ञापनों में अभिव्यक्त किया जिसका उद्देश्य कंप्यूटर की एक ऐसी विश्वव्यापी एवं अंतरसंबंधित शृंखला विकसित करना था जिससे किसी भी व्यक्ति का कहीं से भी किसी भी सूचना तक आसानी से पहुंचना सुगम हो जाए।
1961 में इसी संस्थान के लियोनार्ड क्लिनरोक ने सूचनाओं के ऐसे वितरण के लिए पैकेट स्विचिंग तकनीक को प्रस्तुत किया था। कालांतर में इन्हीं विचारों के आधार पर इंटरनेट की वह सरंचना तैयार हुई जिसने विश्व को एक क्रांतिकारी उपलब्धि प्रदान की।
यह बहुआयामी साधन प्रणाली न केवल अंतर संवाद का माध्यम बनी अपितु उत्तरोतर विकसित होकर सूचनाओं के आदान-प्रदान एवं संग्रहण का जरिया भी बनी। इसने सूचना के अथाह सागर के तल जाने का सुगम मार्ग बनाया। आज यह ईमेल, टेलनेट, फाइल ट्रांसफर सिस्टम, चैट न्यूजग्रुप्स, वेब एवं ई-कामर्स आदि समस्त अनिवार्य सेवाओं का आधार है।
इंटरनेट आज इंट्रानेट, एक्सट्रानेट, स्मार्टफोन, शिक्षा, मनोरंजन, अर्थव्यवस्था आदि प्रत्येक पहलू से जुड़ा है। जीवन की आवश्यकता बन चुके इंटरनेट ने कई पड़ाव पार किए हैं और एक लंबी यात्रा तय की है।
इंटरनेट का इतिहास (History of the internet)
आइये अब तक हुए इंटरनेट का इतिहास, तथ्यों और विकास पर एक नजर डालें:
1822 ई. 19वीं शताब्दी के महान गणितज्ञ एवं आविष्कारक चार्ल्स बैबेज ने प्रोग्राम किया जा सकने वाला प्रथम कंप्यूटर डिजाइन किया।
1945 ई. माना जाता है कि अमेरिकी इंजीनियर वेन्नेवर बुश ने सर्वप्रथम ऐसे कुछ सिद्धांत प्रतिपादित किए जिनके आधार पर इंटरनेट की नींव पड़ी। उन्होंने अपने निबंध ‘ऐज वी मे थिंक’ में इसका वर्णन किया था।
1961 ई. पैकेट स्विचिंग तकनीक को मैसाचुसेट्स के लियोनार्ड क्लिनरोक ने सुझाया।
1962 ई. इंटरनेट के तकनीकी, संगठनात्मक एवं सामाजिक संपर्क स्थापित करने का पहला दृष्टांत मैसाचुसेटस संस्थान के जेसीआर लिंकप्लाइडर द्वारा लिखित ज्ञापनों में देखने को मिला। उन्होंने एक विश्वव्यापी अंतरराष्ट्रीय अंतर्संबंधित शृंखला की परिकल्पना प्रस्तुत की।
1964 ई. गार्डेन मूर ने हर 18 महीने में कंप्यूटिंग क्षमता दोगुनी होने की घोषणा की।
1965 ई. मैसाचुसेटस इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने पहली बार कंप्यूटर के माध्यम से सम्प्रेषण (कम्युनिकेट) किया। यह पहला ईमेल था।
1965 ई. मैसाचुसेट्स संस्थान के वैज्ञानिक टेड नेलसन ने सर्वप्रथम हाईपरटेक्स्ट शब्द का प्रयोग किय। उन्होंने एक ऐसी प्रलेखीय भाषा पर विचार किया जिसमें सभी प्रलेख अन्य प्रलेखों से जुड़े थे और उनमें लिंक्स के जरिए पहुंचा जा सकता था।
1966 ई. अमेरिका के DARPA ने अपना पहला कंप्यूटर नेटवर्क अरपानेट तैयार किया।
1968 ई. डगलस एंजेलबार्ट द्वारा प्रदर्शित कंप्यूटर कम्यूनिकेशन में प्रथम माउस, आज की तरह के प्रथम मल्टीपल ‘विंडोज’ एवं प्रथम हाईपरटेक्स्ट के प्रथम व्यवहारिक उपयोग को शामिल किया। यह ऑनलाइन सिस्टम था।
1969 ई. 2 सितंबर 1969 को डा. क्लिनरॉक एवं उनके साथियों ने दो कंप्यूटरों के बीच संवाद कायम करने में सफलता पाई। जो रेफ्रिजरेटर के आकार के एक राउटर के जरिए संभव हो पाई थी जिसे इंटरफेस मैसेज प्रोसेसर कहा गया।
1969 ई. अरपानेट व पहले चार कार्यक्रम संप्रेषक कंप्यूटर ऑनलाइन हुए। जो कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय, यूटा विश्वविद्यालय, लॉस एंजेल्स एवं स्टेनफोर्ड शोध संस्थान में थे।
1969 ई. अमेरिकी रक्षा विभाग की एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी ARPA ने स.रा. अमेरिका के चार विश्वविद्यालयों को कंप्यूटरों की नेटवर्किंग कर अरपानेट के रूप में इंटरनेट की शुरूआत की। अरपानेट का विकास शिक्षा, शोध एवं सरकारी संस्थाओं के लिए किया गया था। साथ ही इसका एक अन्य उद्देश्य आपात स्थिति में अन्य संचार माध्यमों के निष्फल होने पर परस्पर संपर्क के लिए इसका उपयोग करना था
1971 ई. क्लाइंट सर्वर तकनीक पर आधारित ‘फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल’ का विकास हुआ जिससे दूरदराज के कंप्यूटरों के मध्य फाइल ट्रांसफर संभव हुआ।
1971 ई. 1969 से 1971 के बीच लगभग 2 दर्जन कंप्यूटर अरपानेट से जुड़ चुके थे।
1971 ई. इंटरनेट को नए आयाम देने वाली टेक्नोलॉजी इलेक्ट्रॉनिक मेल (ईमेल) का आरंभ, किंतु यह इंटरनेट पर आधारित नहीं थी।
1972 ई. ईमेल (इलेक्ट्रॉनिक मेल) की व्यवहारिक शुरूआत।
1972 ई. बोल्ट बेरैनेक ऑर न्यूमैन से जुड़े रे टॉमलिन्सन ने अरपानेट आविष्कारकों की सूचना के आदान-प्रदान की आवश्यकता को समझकर ईमेल भेजने और पढ़ने का पहला कार्यक्रम तैयार किया। टॉमलिन्सन ने ईमेल एड्रेस भेजने वाले के नाम व उसके नेटवर्क नाम के बीच अंतर स्थापित करने के लिए @ का उपयोग किया। जोन पोस्टेल ने टेलनेट सेवा की रूपरेखा तैयार की।
1973 ई. टीसीपी (ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल)/आईपी (इंटरनेट प्रोटोकॉल) को डिजाइन किया गया।
1976 ई. स.रा. अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जिमि कार्टर और उनके प्रतिद्वंद्वी वाल्टर मोडेल ने चुनाव प्रचार में ईमेल का प्रयोग किया। महारानी एलिजाबेथ ने भी इसी वर्ष ईमेल किया और ऐसा करने वाली वह राज्य की पहली नेता बनी।
1979 ई. एसेक्स विश्वविद्यालय में पहला बहुपयोगी गेम डनजिओन का आविष्कार किया गया जिसे नेटवर्क के जरिए कहीं से भी खेला जा सकता है।
1982 ई. पहली बार इंटरनेट शब्द का उपयोग हुआ।
1983 ई. इंटरनेट एक्टीविटीज बोर्ड की स्थापना।
1983 ई. अरपानेट को नेटवर्क कंट्रोल प्रोटोकॉल (एनसीपी)/ टीसीपी/आईपी में बदल दिया गया। 1 जनवरी 1983 की इस घटना से टीसीपी आईपी इंटरनेट पर दो कंप्यूटरों के बीच संचार का माध्यम बना और आधुनिक इंटरनेट की नींव पड़ी। इसे ‘फ्लैग डे’ के नाम से जाना जाता है।
1983 ई. एफटीपी (फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल) नामक एक प्रोटोकॉल की सहायता से इंटरनेट यूजर द्वारा किसी भी कंप्यूटर से जुड़कर फाइलें डाउनलोड करना संभव हुआ।
1983 ई. पोल मोके पैट्रिक्स द्वारा डोमेन नेमिंग सर्विस (डीएनएस) का पहला ब्यौरा जारी ।
1983 ई. अरपानेट के मिलट्री (सैन्य) हिस्से को MILNET में डाल दिया गया।
1984 ई. डोमेन नेम सर्वर (DNS) की स्थापना और नेटवर्क एड्रेस को .com, .org और edu रूपों में पहचान दी गई। लेखक विलियम गिब्सन ने ‘साइबरस्पेस’ शब्द का पहली बार उपयोग किया।
1985 ई. क्वांटम कंप्यूटर सर्विसेज की स्थापना जिसे बाद में अमेरिका ऑनलाइन कर दिया गया। यह ईमेल, इलेक्ट्रॉनिक बुलेटिन बोडर्स, न्यूज एवं अन्य सूचनाएं प्रदान करता है।
1986 ई. यूएस नेशनल सांस फाउंडेशन ने NSFNET लांच किया। इस पहले बड़े पैमाने के नेटवर्क में इंटरनेट तकनीक का प्रयोग किया गया था।
1988 ई. फिनलैंड के जार्को ओकेरी नेने ने इंटरनेट चैटिंग की शुरूआत की।
1989 ई. मैकगिल विश्वविद्यालय (मांट्रियल) के पीटर ड्यूश ने पहली बार इंटरनेट की अनुक्रमणिका (इंडेक्स) बनाने का प्रयास किया।
1989 ई. थिंकिंग मशीन कारपोरेशन के ब्रिवस्टेर काहल ने एक अन्य इंडेक्स सिस्टम सिक्स्ड WAIS (वाइड एरिया इन्फारमेशन सर्वर) को विकसित किया। यूरोपियन लेबोरेटरी फॉर प्रोटोकॉल फिजिक्स संस्था सर्न (CERN) के सर टिम बर्नर्स-ली ने सूचना वितरण की एक नई तकनीक World Wide Web खोजी जो हाइपरटेक्स्ट पर आधारित है। यह किसी इंटरनेट प्रयोगकर्ता को दूसरे से जोड़ती है। इस काम में हाइपरलिंक (विशेष रूप से प्रोग्राम किए शब्दों, ग्राफिक्स अथवा बटन्स) का प्रयोग किया जाता है। इस तकनीक को ही वर्ल्ड वाइड वेब (www) कहा जाने लगा किंतु यह वास्तव में वेब इंटरनेट नहीं है। इंटरनेट वस्तुतः हार्डवेयर है कंप्यूटर्स एवं फोन लाइनें उससे जुड़ी रहती हैं। जबकि वेब एक सॉफ्टवेयर है। आज का इंटरनेट इसी तकनीक पर आधारित है।
1989 ई. आम यूजर्स के लिए सर्वप्रथम डायल अप इंटरनेट एक्सेस के लिए world (World.std.com) का उदय ।
1990 ई. मैक्कगिल विश्वविद्यालय (मॉट्रियल) के पीटर ड्यूश ने सर्वप्रथम FTP साइट्स को आर्काइव करने के लिए Archie विकसित किया।
1990 ई. अप्रानेट का अस्तित्व समाप्त हुआ।
1991 ई. मिन्नेसोटा यूनिवर्सिटी (स.रा. अमेरिका) में पाइंट एंड क्लिक नेवीगेशन उपलब्ध कराने वाले पहले यूजर फ्रेंडली सर्च इंजन ‘गोफर’ विकसित हुआ जो सर्वाधिक लोकप्रिय इंटरफेस बना। NFSNET को कमर्शियल ट्रैफिक के लिए खोल दिया गया। डॉक्यूमेंट तक सरलता से पहुंच की प्रणाली सामने आई।
1991 ई. थिंकिंग मशीन कारपोरेशन के ब्रिवस्टेर काहल द्वारा WAIS (Wide Area Information Server) नामक अन्य इंडेक्सिंग सिस्टम का विकास।
1993 ई. नेशनल सेंटर ऑफ सुपर कंप्यूटिंग एप्लीकेशंस के मार्क एंड्रीसन ने ‘मोजाइक’ नामक सॉफ्टवेयर यानि नेवीगेटिंग सिस्टम विकसित किया जिसकी सहायता से इंटरनेट को मैगजीन फारमेट में प्रस्तुत किया जाने लगा, फलस्वरूप टेक्स्ट और ग्राफिक्स सरलता से इंटरनेट पर उपलब्ध होने लगे। यह सॉफ्टवेयर वर्ल्ड वाइड वेब के लिए आज भी मुख्य नेवीगेटिंग सिस्टम बना हुआ है।
1993 ई. सर टिम बर्नर्स ली द्वारा पहले वेब ब्राउजर को वर्ल्ड वाइड वेब का रूप दिया जिसे बाद में NEXUS नाम दिया गया। किंतु नेट को मोजेइक नामक एप्लीकेशन चलाता था जो टैक्स्ट व इमेज दोनों को दर्शाने में सक्षम था। इसे नेटस्केप कम्युनिकेशन बनाने वाले इंजीनियरों ने विकसित किया।
1993 ई. ग्राफिकल वेब ब्राउजर का आविष्कार एक बड़ी घटना के रूप में सामने आया।
1994 ई. नेटस्केप कम्युनिकेशन ने अपना ब्राउजर बाजार में लांच किया।
1994 ई. प्रारंभिक कमर्शियल साइट्स की इंटरनेट पर लांचिंग । ईमेल द्वारा वृहतर स्तर पर मार्केटिंग।
1994 ई. व्हाइट हाउस (अमेरिका) द्वारा www.whitehouse.gov वेबसाइट का आरंभ। इंटरनेट शब्दावली में स्पैमिंग (Spamming) शब्द को शामिल किया गया। इंटरनेट पर ईमेल के जरिए व्यापक स्तर पर मार्केटिंग प्रचार प्रसार हुआ और व्यापारिक साइट्स की स्थापना की गई। मार्क एंडरसन एवं जिम क्लार्क ने नेटस्केप कम्युनिकेशंस का आरंभ किया। नेवीगेटर ब्राउजर पेश किया।
1995 ई. Compu Serve, America Online तथा Prodigy ने डायलअप इंटरनेट एक्सेस सुविधा आरंभ की। सन माइक्रोसिस्टम ने जावा नामक इंटरनेट प्रोग्रामिंग भाषा जारी की। वेटिकन ने अपनी www.vacation.va साइट लांच की।
1995 ई. इंटरनेट का उपयोग करना सरल हो गया। amazon.com साइट के लांच से यूजर्स को ई-कामर्स का पता चला।
1995 ई. 15 अगस्त 1995 को भारत में विदेश संचार निगम लिमिटेड की सेवाएं आरंभ होते ही आम आदमी का इंटरनेट तक पहुंचना संभव हुआ।
1996 ई. इंटरनेट की लोकप्रियता व प्रयोग से यूजर्स संख्या 4.5 करोड़ तक पहुंच गई। इनमें क्रमश: 3.0 करोड़ अमेरिकी, 90 लाख यूरोपीय तथा 60 लाख एशिया / प्रशांत क्षेत्र के यूजर्स थे।
1996 ई. मार्स पर अंतरिक्ष यान पाथफाइंडर द्वारा ली गई तस्वीरों को नासा वेबसाइट द्वारा 7 जुलाई 1997 को प्रसारित करने पर इंटरनेट ट्रैफिक रिकॉर्ड टूटा। एक दिन में 46 मिलियन हिट्स मिले। वेब ब्लॉग शब्द का उदभव हुआ जो बाद में संक्षिप्त ब्लॉग शब्द रूप में उपयोग होने लगा।
1998 ई. सर्च इंजन गूगल को लांच किया गया। हालांकि इससे पहले भी gopher, veronica, word wide web wanderer, web crawlor, magellan, excite, inktomi, northern light एवं Alta Vista नामक सर्च इंजन उपयोग में थे।
1999 ई. ई कामर्स की अवधारणा के विस्तार से इंटरनेट पर खरीद फरोख्त बढ़ी।
1999 ई. कालेज छात्र शॉन फेनिंग ने Napster का आविष्कार किया यह कंप्यूटर एप्लीकेशन इंटरनेट पर म्यूजिक स्वैप करने के लिए एक उपयोगी एप्लीकेशन है। इंटरनेट शॉपिंग में ई कामर्स का बोलबाला और Myspace.com का आरंभ।
2000 ई. अमेरिका ऑनलाइन ने टाइम वार्नर को 166 बिलियन डॉलर में खरीदा जो अब तक का सबसे बड़ा विलय था।
2000 ई. इंटरनेट के बढ़ते प्रयोग से वायरस समस्या का प्रादुर्भाव। लव बग ने दुनिया के लाखों कंप्यूटरों को नुकसान पहुंचाया।
2001 ई. विकिपीडिया का निर्माण।
2002 ई. स. रा. अमेरिका में 15 करोड़ व भारत में 1 करोड़ 65 लाख लोगों ने इंटरनेट प्रयोग किया।
2003 ई. न्यूजीलैंड में नियूइ (NIUE) ने इंटरनेट प्रणाली में देशव्यापी वायरलेस एक्सेस प्रणाली का प्रयोग शुरू किया। (जिसमें वाईफाई तकनीक का प्रयोग किया जाता है।)
2003 ई. एप्पल कंप्यूटर द्वारा एप्पल आईट्यून्स म्यूजिक स्टोर का आरंभ जहां से 99 सेंट देकर गाना डाउनलोड करने की सुविधा थी।
2004 ई. इंटरनेट सेवा के जरिए Mydoom अथवा Novarg इंटरनेट वर्म ने अपना शिकंजा फैलाकर हर 12 में से एक ईमेल को हानि पहुंचाई।
2005 ई. Youtube.com का आरंभ।
2007 ई. वर्ल्ड सीरीज टिकटों की बिक्री के लिए पहले 90 मिनटों में 8.5 मिलियन हिट्स मिलने से कोलारेडा रॉकी कंप्यूटर सिस्टम क्रैश हुआ ।
2007 ई. ऑनलाइन गेम world of Warecraft ने जुलाई में 9 मिलियन सबस्क्राइबर हासिल करने पर एक गौरवपूर्ण उपलब्धि हासिल की।
2008 ई. इंटरनेट सर्च व विज्ञापन क्षेत्र में गूगल के प्रभाव को चुनौती देने के लिए माइक्रोसॉफ्ट ने उसे 44.6 बिलियन डॉलर में खरीदने की पेशकश की।
2009 ई. क्लाउड कंप्यूटिंग का चलन बढ़ा जो वेब कनेक्शन पर आधारित है।
2010 ई. नोबेल शांति पुरस्कार के लिए इंटरनेट भी दावेदार बना।
2014 ई. अप्रैल 2014 में एनक्रिप्शन सॉफ्टवेयर Open SSL में कोडिंग एरर पकड़ा गया जिसमें कंप्यूटर एवं यूजर्स के पासवर्ड में घुसपैठ की। यह एरर 2012 में बनाया गया था।