कभी फोन की घंटी ‘ट्रिन-ट्रिन’ बजते ही पूरा परिवार उस उठाने के लिए दौड़ पड़ता था। उस दौर में फोन स्टेटस सिंबल हुआ करता था। ग्राहम बेल ने सोचा भी न होगा कि लंबे समय बाद उनके आविष्कार का रूप पूरी तरह से बदल जाएगा, प्रौद्योगिकी बदल जाएगी, मनचाही कॉलर ट्यून लगेगी, कॉलिंग, टचपैड से होगी और फोन से चैटिंग, स्वाइप, मैसेजिंग और सिनेमा, गेमिंग आदि भी होगी।
सचमुच दूरसंचार के क्षेत्र में क्रांति लाने वाला कीपैड फोन आज टचस्क्रीन वाला फोन स्मार्टफोन में बदल चुका है। आज हर व्यक्ति के पास स्मार्टफोन है। निसंदेह कीपैड फोन ने स्मार्टफोन तक का एक रोमांचक सफर तय किया है।
आज के स्मार्टफोन निरंतर तकनीकी विकास का परिणाम है। लगभग सत्तर वर्षों के सफर में सेलफोन को स्मार्टफोन बनने तक, कई पड़ाव पार करने पड़े। शुरुवात में ब्रीफकेस, जैसे 25 पाउंड वजन के पोर्टेबल फोन हुआ करते थे जो छोटे होकर भी दो पाउंड का भारी गॉर्डन गिकोस ही रहा। उसके बाद टेक्सट क्षमता वाला फ्लिप फोन लोगों के आकर्षण का केंद्र बना। तत्पश्चात कैमरे वाले मोटोरोला रेजर जैसे फोनों का विकास हुआ। इसकी अगली पीढ़ी अनेकों फीचर वाले स्मार्टफोनों की थी जो हाथों में समा जाते थे जिनमें फीचर्स जोड़कर आईफोन जैसे स्मार्टफोन समाज को लुभाने लगे।
संभव है कि कॉलिंग की सुविधा वाली स्मार्टवॉच की तरह ही हाथों में पहनने वाला स्मार्टफोन या फिर मल्टीटास्किंग सुविधा वाला अल्ट्रा स्मार्टफोन भी आ जाए। कभी फोन में मिल्ट्री एप्लीकेशन हुआ करते थे। आज मोबाइल एप्स का जमाना है। सेलफोन के क्रमिक विकास का यह रोमांचक सफर उसके विभिन्न रूपों से अवगत कराता है। तो आइये मोबाइल फ़ोन का इतिहास और इसके विकास को जानें:
मोबाइल फोन का इतिहास (History of mobile phones)
1938
स्मार्टफोन का आरंभिक रूप मोबाइल फोन का नहीं था। फोर्ट मॉन्मथ (न्यूजर्सी) स्थित यू.एस आर्मी सिग्नल कार्ल्स इंजीनियर लैबोरेटरी द्वारा विकसित SCR-194 और SCR-195 वास्तव में पहले पोर्टेबल ए एम रेडियो थे जिन्हें पहले वॉकी-टॉकी कहा जाता है। इनका भार लगभग 25 पाउंड था और यह 5 मील तक कार्य कर सकते थे। इनका उपयोग द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रायः सैन्य टुकड़ियों एवं कंपनी की परस्पर बातचीत के लिए होता था।
1940
इसके पश्चात् मोटोरोला ने, अमेरिकी सेना के लिए SCR-300 नामक एक रेडियो ट्रांसिवर विकसित किया जो एक पोर्टेबल एफएम रेडियो था। इसका वजन 32 से 38 पाउंड था और सिग्नल क्षमता 3 मील। द्वितीय विश्वयुद्ध में मित्र राष्ट्रों ने SCR-194 और SCR – 195 की जगह इसकी लगभग 50,000 यूनिटों का उपयोग किया।
1942
मोटोरोला ने अमेरिका के लिए SCR-536 मॉडल नाम से पहले ‘हैंडी टॉकी’ बनाया जो युद्ध के दौरान उपयोग किया गया। इसका वजन केवल 5 पाउंड था किंतु इसकी कार्यक्षमता धरती पर 1 मील और पानी पर 3 मील थी। मिल्ट्री ग्रेड पोर्टेबल रेडियो अब मोबाइल रेडियो टेलीफोन में बदल गया।
1946
बेल सिस्टम ने पहली बार व्यवसायिक मोबाइल टेलीफोन सर्विस ‘Mobile Tele Phone System (MTS)’ आरंभ की। मूल उपकरण लगभग 80 पाउंड भारी था जिसे एटीएंडटी द्वारा सीमित कॉल बैंड्स दिए जाते थे। इस महंगी सेवा का खर्च 30 डॉलर प्रतिमाह था। अतिरिक्त कॉल्स पर अतिरिक्त चार्ज लिया जाता था। इसलिए इनका उपयोग प्रायः सेवा प्रदाता, ट्रक चलाने वाले ऑपरेटर्स तथा रिपोटर्स आदि करते थे।
1956
एरिकसन का Mobile System A (MTA) ऑटोमोबाइल्स के लिए पहला आंशिक ऑटोमोबाइल सिस्टम था। पहले-पहल इसे स्वीडन में उपयोग किया गया। इस यूनिट का वजन 88 पाउंड था।
1964
बेल के नए प्रीसेलूलर Improved Mobile Telephone Service (IMTS) से प्रेरित होकर ऑटो स्वामित्वधारियों को पुश बटन्स युक्त ज्यादा विकसित और हल्का फोन मिला जिसे मोटोरोला ने बनाया था और यह केवल 40 पाउंड वजन का था। अगले कुछ वर्षों में यह वजन घटकर 20 पाउंड रह गया किंतु यह भी महंगा था और देशभर में कॉल के महंगा होने के कारण आम लोगों की पहुंच से बाहर था ।
1973
3 अप्रैल 1973 को मार्टिन कूपर ने पहला मोबाइल हैंडसेट तैयार किया। उन्होंने शाम को इसी मोटोरोला डाइना टीएसी हैंडसेट से प्रतिद्वंदी कंपनी के एक इंजीनियर को पहला कॉल कर चौंका दिया । इसलिए मार्टिन कूपर को ‘फादर ऑफ सेलफोन’ कहा जाता है। यह हैंडसेट 2.2 पाउंड (लगभग 1 किग्रा.) वजनी था। यह पूरी तरह चार्ज होने पर केवल 20 मिनट तक काम करता था। जबकि इसे चार्ज करने में 10 घंटे लगते थे।
1973
मोटोरोला के पूर्व उपाध्यक्ष मार्टिन कूपर ने Dyna TAC (Dynamic Adaptive Total Area Coverage) पोर्टेबल मोबाइल हैंडसेट फोन का एक प्रोटोटाइप बनाकर, नॉन-व्हीकल सेटिंग में पहला निजी और व्यवहारिक मोबाइल कॉल जोयल एस. एंजेल नामक इंजीनियर को किया जो बेल लैब में उनका प्रतिद्वंद्वी था।
1982
डायनाटेक प्रोटोटाइप के प्रभावी आकार के सामने नोकिया के 22 पाउंड के Mobira Senator को देखना निराशजनक था जिसे विश्व की पहली पूर्ण ऑटोमेटिक इंटरनेशनल सेलुलर सर्विस – NIMT – मोबाइल संचार की पहली पीढ़ी (1G) के दौरान लांच किया गया था।
1983
प्रोटोटाइप बनने के 10 वर्ष उपरांत मोटोरोला का डायनाटेक सेलुलर फोन आम जनता के लिए उपलब्ध हो सका। किंतु यह अब मात्र 2 पाउंड वजन का रह गया था और इसकी कीमत लगभग 4000 डॉलर थी इसलिए इसे दुनिया के केवल अति संपन्न लोग ही खरीद सकते थे। यह उत्तरी अमेरीका की पहली 1G एनालॉग सर्विस AMPS पर काम करता था, जो शिकागो में पहली बार अमेरिटेक ने लांच की थी।
1983
1983 में अमेरिका में मोबाइल फोन आम लोगों को बेचा गया जिसकी कीमत 2500 डॉलर (करीब 1.25 लाख रूपये) थी।
1984
मोबिरा टॉकमैन ने कॉल की दरें सस्ती कर देर तक बात करने की सुविधा प्रदान की। डायनाटेक केवल 60 मिनट की बातचीत की सुविधा दे सकता था किंतु मोबिरा ने घंटों तक बातचीत की सुविधा देना आरंभ किया।
1989
मोटोरोला के Micro TAC ने पहला क्लिप फोन डिजाइन पेश किया। हार्डवेयर को फोन के जाघंट वाले भाग में लगाया गया था और 1993 उपयोग में न होने की स्थिति में फोल्ड करने पर यह छोटा होकर आसानी से जेब में आ जाता था। यह वास्तव में दुनिया का पहला पॉकेट फोन था।
1992
1992 में एसएमएस सेवा आरंभ हुई तो ब्रिटेन के 22 वर्षीय सॉफ्टवेयर प्रोग्रामर ने अपने दोस्त को क्रिसमस पर बधाई संदेश भेजा।
1992
मोटोरोला इंटरनेशनल 3200, पहला हैंड साइज डिजिटल मोबाइल फोन बना जिसमें 2G की डिजिटली रूप से एनक्रिप्टिड टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया था।
1993
आईबीएम का Simon विश्व का पहला स्मार्टफोन था जिसमें मोबाइल फोन, पेजर, फैक्स मशीन, पीडीए, सभी एक ही में ही थे।
1993
1993 में पेश किया गया आईबीएम साइमन या (सीमेन) पहला स्मार्टफोन था, जिसमें टचस्क्रीन, फैक्स एवं कैलेंडर आदि मौजूद थे।
1994
अपने छोटे पॉकेट साइज वर्जन्स के बावजूद कार फोन लोकप्रिय एवं उपयोगी बने रहे किंतु मोटोरोला का Bag Phone ( 2900) लंबी बातचीत की सुविधा, लंबी बैटरी लाइफ और ज्यादा सिग्नल रेंज के कारण डिमांड में रहे। इसमें पहले 1G नेटवर्क का उपयोग होता था जो बहुत जल्द ही 2G में बदल गया।
1996
मोटोरोला ने Star TAC युक्त पहला मोबाइल फोन ‘Clamshell’ प्रस्तुत किया जो मोड़ने पर आधे साइज का हो जाता था। यह 1G नेटवर्क पर चलता था किंतु बहुत जल्द ही 2G पर काम करने लगा। कहा जाता है कि यह स्टार ट्रैक सीरीज के कम्युनिकेटर से प्रेरित होकर बनाया गया था।
1997
सिमोन अच्छा फोन रहा, किंतु Nokia 9000 Communicator के आने से वास्तव में स्मार्टफोन के युग का आरंभ हुआ। यह पहला सेलफोन था जिसे सीमित वेब एक्सेस के वाबजूद मिनी कंप्यूटर कहा जा सकता है। खोलने पर इसका लंबा क्लैमशैल डिजाइन, एलसीडी स्क्रीन और क्वर्टी कीबोर्ड दिखाता था जो मोबाइल फोन में पहली बार पेश किया गया था।
1997
1997 में मोबाइल पर पहली बार कैमरे का उपयोग फिलिप कॉन ने किया। उन्हें ‘कैमरा युक्त मोबाइल फोन का जनक’ कहा जाता है। उन्होंने पहली बार अस्पताल से अपनी बेटी की तस्वीर भेजी।
1998
नोकिया का Nokia 8810 ऐसा पहला सेल फोन था जिसमें कोई बाहरी एंटीना नहीं था। स्लाइडिंग कीपैड कवर से यह ज्यादा आकर्षक लगता था।
1999
मोबाइल इतिहास में सबसे नया लोकप्रिय Nokia 3210 मॉडल रहा जिसके 160 मिलियन सेट बिके। यह पहला ऐसा फोन था जिसमें पिक्चर मैसेज भेजने की सुविधा थी किंतु ये मैसेज पहले से ही इंस्टॉल होते थे, जैसे कि, Happy Birthday आदि खासकर युवा लोगों को इसके लिए आकर्षित किया गया।
1999
Nokia 7110 में पहली बार वायरलैस एप्लीकेशन प्रोटोकॉल (WAP) सुविधा दी गई जिसकी मदद से यूजर्स को साधारण डिवाइसेज को वेब एक्सेस करने की सुविधा दी गई।
1999
विश्व के पहले मोबाइल फोन के लिए Geon Sentric उत्तरदायी था और एक उत्पाद Benefon Esc में FPS नेवीगेट भी लगाया गया। यह पानी में सुरक्षित था और यूजर्स इसमें पोजीशन और मूवमेंट ट्रेक करने के लिए मैप लोड कर सकते थे।
1999
जापान के Kyocera कंपनी के Visual Phone (VP-201) में पहली बार बिल्ट-इन कैमरे की सुविधा दी गई किंतु यह केवल वीडियो फोन के लिए डिजाइन किया गया था।
2000
जापान में जे – मोबाइल कंपनी ने पहली बार शार्प का J-SHO4 (J-Phone) मोबाइल फोन बाजार में उतारा जिसका रेजोल्यूशन 0.1 मेगापिक्सल था। कुछ लोगों ओलम्पस को उसके Deltis VC – 1100 से रेगुलर नेटवर्क पर पहली बार डिजिटल इमेज भेजने का श्रेय देते हैं। तो कुछ अन्य फिलिप्स काहन की उस कहानी को, जिसमें उसने सेल के तार द्वारा कैमरा जोड़कर नवजात शिशु की इमेजिस भेजी थी। किंतु J-SH04 व्यावसयिक स्तर पर उपलब्ध ऐसा पहला फोन था जिसमें शा-मेल (पिक्चर मेल) संरचना के साथ CCD Sensor लगा था। यही MMS का आरंभ भी था।
2002
उत्तरी अमेरिका में, J- Phone के समकाल में हीं स्प्रिंट का पहला कैमरा फोन Sanyo 5300 बेचा गया।
2002
2002 में कैमरायुक्त रंगीन स्क्रीन वाला मोबाइल फोन सामने आया।
2002
RIM का ब्लैकबेरी वास्तव में पहला ब्लैकबेरी डिवाइस नहीं था इसने पहली बार केवल डाटा के लिए डिवाइसेज श्रृंखला में मोबाइल फोन प्रस्तुत किया। जो प्रोफेशनल अपने ईमेल्स एवं शेड्यूल को तुरंत एक्सेस करना चाहते थे, रिम ने उनके लिए ही यह फोन बनाया था। किंतु इसमें कोई स्पीकर या माइक्रोफोन नही था।
2002
Danger Hip Top ऐसा पहला फोन था जिसमें पूरी तरह कार्यशील वेब एक्सपीरियंस की सुविधा थी और इसमें तुरंत मैसेज देने वाला क्लाइंट (AIM) भी था। बाद में इसका नाम बदलकर T-Mobile Sidekick किया गया। इसके मैसेजिंग फीचर एवं कीबोर्ड से यह बधिर यूजर्स में काफी लोकप्रिय हुआ साथ ही एलसीडी स्क्रीन भी थी जो क्वर्टी कीबोर्ड को सामने लाने के लिए घूम सकती थी और क्लिप भी हो सकती थी।
2002
ब्लैकबेरी की उपलब्धियों से आगे निकलकर माइक्रोसॉफ्ट ने Pocket Pc Phone Edition लांच किया जिसने वाइल्ड फायर, जैसे पीडीए का प्रसार किया जिसमें HP के Jornada928 Wireless Digital Assistant में भी वायरलैस वॉयस एवं डाटा क्षमता सहित बेहतरीन पीडीए को भी जोड़ा गया था। यह पुराने विंडोज मोबाइल क्लासिक डिवाइसेज में अच्छा बदलाव था जिसने विंडोज Xp के मिनी वर्जन का उपयोग किया गया था।
2002
हैंडस्प्रिंग ने भी पॉप ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाले Treo – 180 फोन को पीडीए सपोर्ट दी।
2004
मोटोरोला रेजर नामक कैमरा फोन लोकप्रिय हुआ जो 2004 में एक फैशन फोन की तरह बिका। 2006 के मध्य तक इसके 50 मिलियन सेट बिक गए थे। इसने सेलफोन को एक नया लुक दिया।
2005
पॉम ऑपरेटिंग सिस्टम से बाहर ऑपरेट होने वाला पहला पाम स्मार्टफोन Treo 700w था जो विंडोज मोबाइल से चलता था। यह माइक्रोसॉफ्ट सॉफ्टवेयर एक्सेस करने वालों के लिए बेहतर विकल्प था।
2005
मोटोरोला के ROKRE1 सेलफोन में पहली बार एप्पल के आईट्यून्स म्यूजिक प्लेयर को शामिल किया गया था न कि आईफोन में। यह एक बार में केवल 100 गाने मैनेज कर सकता था।
2005
2005 में सोनी ने अपने फोन पर गाने सुनने की सुविधा उपलब्ध कराई ।
2007
स्टीव जॉब्स ने एक क्रांतिकारी टचस्क्रीन स्मार्टफोन Apple iPhone लांच किया किंतु यह पहला स्मार्टफोन नहीं था अपितु इसमें पहली बार यूजर इंटरफेस दिया गया था और अंततः इसने 3G तकनीक को अपनाया जो 2001 से मौजूद थी।
2008
गूगल के एंड्रॉयड ओएस पर चलने वाला पहला स्मार्टफोन HTC Dream Slider स्मार्ट फोन था। इसमें क्वर्टी कीबोर्ड, फुल HTML वेब ब्राउजर, जीमेल, यूट्यूब व अन्य सुविधाएं थी। इसने Nexus One और Motorola DROID जैसे स्मार्टफोन का मार्ग प्रशस्त किया।
2010
स्प्रिंट का HTC EVO 4G मानकों पर खरा उतरने वाला पहला सेलफोन था। यह WiMAX नेटवर्क पर चलता था और एंड्रॉयड 2.1 पावर्ड था। इसमें सबसे बड़ी टचस्क्रीन डिस्पले, 8MP कैमरा, HD वीडियो कैप्चर HDMI आउटपुट, मोबाइल हॉटस्पॉट HTC Sense आदि फीचर्स थे।
क्या आप जानते है ?
- मोबाइल का सबसे ज्यादा उपयोग फोन या एसएमएस करने में नहीं होता, अपितु समय देखने में होता है।
- फिनलैड में बना नोकिया-1100 मोबाइल अब तक का सबसे ज्यादा बिकने वाला हैंडसेट है।
- सोनिम एक्सपी-3300 नामक फोन सबसे मजबूत फोन था जो 84 फीट की ऊंचाई से गिरा, फिर भी सही सलामत चलता रहा। मजबूती का यह रिकॉर्ड गिनीज बुक में भी दर्ज है।
- फ्लोरिडा की सेलिनस नामक युवती का फोन बिल 1.42 लाख पौंड (लगभग 1.15 करोड रूपये) आया या जो अब तक का सर्वाधिक बिल है। किंतु कंपनी ने इसे घटाकर 1.5 लाख कर दिया।
- दुनिया का सबसे महंगा मोबाइल सोने से बना आईफोन है जिसमें 500 हीरे जड़े हैं और इसका बॉक्स प्लेटिनम का है। फोन की कीमत है 55.2 करोड़ रूपये।