Printer क्या है? परिभाषा, कार्य, प्रकार और उपयोग

प्रिंटर (Printer) एक ऐसा आउटपुट उपकरण है जिसका इस्तेमाल आउटपुट को पेपर पर छापने के लिए किया जाता है। प्रिंटर द्वारा किये गए आउटपुट प्रिंट को प्रिंट आउट कहते है। आवश्यकता, कार्य क्षमता और बजट के अनुसार प्रिंटर अलग-अलग प्रकार के होते है।

शुरुवात के प्रिंटिंग प्रेस आविष्कारों से लेकर अत्याधुनिक 3 डी प्रिंटिंग तकनीक तक, प्रिंटर का विकास उल्लेखनीय रहा है। तो आइये जानें की Printer क्या है (What is Printer in Hindi) और प्रिंटर कितने प्रकार के होते है :

Printer क्या है? (What is Printer in Hindi)

प्रिंटर (Printer), कंप्यूटर का एक आउटपुट उपकरण है जो की कंप्यूटर के इनफार्मेशन और आउटपुट डाटा को पेपर पर प्रिंट करती है। आसान शब्दों में प्रिंटर एक हार्डवेयर उपकरण है जो की कंप्यूटर डाटा को लेकर उस डाटा की हार्ड कॉपी बनाने का कार्य करती है। प्रिंटर सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले कंप्यूटर उपकरणों में से एक है और इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल दस्तावेज, तस्वीरें और इमेजेस प्रिंट करने के लिए किया जाता है।

अलग प्रकार के प्रिंटरों के कार्य करने तथा प्रिंट करने का तरीका अलग-अलग होता है साथ ही इनके प्रिंट करने की गुणवत्ता और गति भी भिन्न होती है। अलग-अलग तरह के प्रिंटर, पेपर पर प्रिंट करने के अलावा लकड़ी, प्लास्टिक, मेटल या किसी भी ढोस सतह पर भी प्रिंट कर सकते है।

प्रिंटरों को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए भिन्न भिन्न इंटरफ़ेस वाले केबल्स प्रयोग में लाये जाते है। जिनमें ईथरनेट पोर्ट, फायर वायर पोर्ट, USB पोर्ट, सीरियल पोर्ट, वायरलेस और ब्लूटूथ शामिल है। वर्तमान में प्रिंटर्स USB पोर्ट वाले अधिक होते है।

प्रिंटर की परिभाषा

प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइस है जो आउटपुट को पेपर पर प्रिंट कर प्रस्तुत करता है, जिसे हार्डकॉपी आउटपुट कहते हैं। प्रिंटर एक ईलेक्ट्रोमैकेनिकल उपकरण होता है, जिसका कार्य कंप्यूटर से प्राप्त डिजिटल आउटपुट को मानव के समझने योग्य भाषा, संकेतों तथा चित्रों में परिवर्तित करके हार्डकॉपी के रूप में कागज़ पर प्रिंट करना होता है।

प्रिंटर का आविष्कार किसने किया?

कंप्यूटर के इतिहास में सबसे पहला कंप्यूटर प्रिंटर साल 1953 में Remington-Rand कंपनी द्वारा UNIVAC कंप्यूटर में इस्तेमाल के लिए बनाया गया। इसके बाद साल में 1957 में IBM कंपनी द्वारा दुनिया का पहला डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर बनाया गया। आगे चलकर प्रिंटर के क्षेत्र में बहुत से अविष्कार हुए।

साल 1983 चेस्टर कार्लसन नाम के अविष्कारक ने इलेक्ट्रोफोटोग्राफिक ड्राई प्रिंटिंग प्रोसेस तकनीक का अविष्कार किया। जिसे आम भाषा में ज़ेरॉक्स कहा गया। ज़ेरॉक्स तकनीक को आधुनिक लेज़र प्रिंटिंग तकनीक का शुरुवात माना जाता है।

अविष्कारक चेस्टर कार्लसन, जब ज़ेरॉक्स तकनीक पर काम कर रहे थे तो उन्होंने दुनिया का पहला लेज़र प्रिंटर का अविष्कार किया। और लेज़र प्रिंटर का अविष्कार साल 1971 में पूरा हुआ।

प्रिंटर का परिचय

प्रिंटर का चित्र
प्रिंटर का चित्र

प्रिंटर एक हार्डवेयर डिवाइस है जो कंप्यूटर या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से इनपुट लेता है और इसे कागज पर आउटपुट करता है। प्रिंटर का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक रूप से संग्रहीत डिजिटल दस्तावेजों, छवियों, वेब पेजों और अन्य मीडिया की भौतिक प्रतियों का उत्पादन करने के लिए किया जाता है।

प्रिंटर विभिन्न प्रकार के होते हैं जो विभिन्न प्रिंटिंग तकनीकों जैसे इंकजेट, लेजर, थर्मल और dye-sublimation का उपयोग करते हैं। इंकजेट प्रिंटर कागज पर तरल स्याही की छोटी बूंदों को स्प्रे करते हैं, लेजर प्रिंटर टोनर पाउडर का उपयोग करते हैं, और थर्मल प्रिंटर heat-sensitive पेपर का उपयोग करते हैं।

प्रिंटर उपयोगकर्ताओं को टेक्स्ट डाक्यूमेंट्स, फ़ोटो, पोस्टर, ब्रोशर, रसीदों, आदि की हार्ड प्रतियां बनाने की अनुमति देते हैं। ये घरों, कार्यालयों, पब्लिशिंग हाउस, ग्राफिक्स डिजाइन स्टूडियो और कई अन्य कार्यस्थलों का सबसे जरुरी हिस्सा हैं जहां भौतिक प्रतियों की आवश्यकता होती है। यानी की प्रिंटर डिजिटल रूप में संग्रहीत जानकारी को मुद्रित दस्तावेजों में बदल देते हैं जिन्हें आसानी से पढ़ा, संग्रहीत, वितरित और भौतिक रूप से साझा किया जा सकता है।

प्रिंटर के उपयोग (Uses of Printer in Hindi)

प्रिंटर को लगभग हर क्षेत्र में विभिन्न उद्देश्यों से उपयोग किया जाता है। प्रिंटर के कुछ सामान्य अनुप्रयोग निम्न हैं:

  1. दस्तावेज़ों को प्रिंट करना: प्रिंटर का सबसे आम उपयोग रिपोर्ट, आर्टिकल्स और अन्य टेक्स्ट बेस्ड दस्तावेज़ों को प्रिंट करना है।
  2. फोटो प्रिंट करना: प्रिंटर का दूसरा सबसे ज्यादा इस्तेमाल फोटो प्रिंट करने के लिए किया जाता हैं।
  3. लेबल प्रिंट करना: प्रिंटर का उपयोग फ़ाइलों, बक्से या अन्य वस्तुओं पर विभिन्न उद्देश्यों के लिए लेबल प्रिंट करने के लिए किया जाता है।
  4. कार्ड प्रिंटिंग: आप पार्टियों, शादियों या अन्य विशेष अवसरों के लिए कस्टम आमंत्रण बनाने के लिए प्रिंटर का उपयोग किया जाता है।
  5. व्यवसाय सामग्री प्रिंटिंग: छोटे व्यवसाय के मालिक अपने प्रिंटर का उपयोग मार्केटिंग ब्रोशर, फ्लायर या बिजनेस कार्ड आदि बनाने के लिए करते हैं।
  6. शैक्षिक सामग्री प्रिंटिंग: छात्र और शिक्षक गाइड, नोटेड या अन्य शैक्षिक सामग्री को प्रिंट करने के लिए प्रिंटर का उपयोग करते हैं।
  7. कलाकृति प्रिंटिंग: कुछ प्रिंटर उच्च गुणवत्ता वाली फोटो को प्रिंट करने में सक्षम होते हैं, इसलिए उनका उपयोग कलाकृति या पोस्टर बनाने के लिए किया जाता है।
  8. 3 डी वस्तुओं को प्रिंट करना: आजकल आधुनिक 3D प्रिंटर प्रोटोटाइप या मॉडल जैसे three-dimensional वस्तुओं को प्रिंट कर सकते हैं।

प्रिंटर के प्रकार (Types of Printer in Hindi)

कंप्यूटर के प्रिंटर्स कई तरह के होते है जैसे लेज़र प्रिंटर, इंकजेट प्रिंटर, थर्मल प्रिंटर, ऑल इन वन प्रिंटर, डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर, 3D प्रिंटर आदि। लेकिन वर्तमान में कंप्यूटर के साथ मुख्यतः इंकजेट और लेज़र प्रिंटर का इस्तेमाल किया जाता है। प्रिंटर्स के कार्य विधि और तकनीक के अनुसार सभी प्रिंटर के दो मुख्य श्रेणी है:

  1. इम्पैक्ट प्रिंटर्स
  2. नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर्स
प्रिंटर के प्रकार (types of printers)
प्रिंटर के प्रकार (Types of Printers)

1. इम्पैक्ट प्रिंटर क्या है?

इम्पैक्ट प्रिंटर्स में छोटे छोटे पिंस या मुद्रित हैमर तथा स्याही लगा रिबन होता है। जब पिनें फीते यानि रिबन पर चोट करती है तो स्याही की छाप पेपर पर लग जाती है। इस क्रियाविधि को इलेक्ट्रो मेकैनिकल मेकनिज़्म के रूप में जाना जाता है।

कंप्यूटर पर प्रिंट आउट आदेश देने पर ये पिंस व्यवस्थित रूप से संचालित होकर विभिन्न प्रकार के अंक, अक्षर तथा चित्र छापते है। इसके उदहारण डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर और डेज़ी व्हील प्रिंटर है।

इम्पैक्ट प्रिंटर मुख्यतः दो प्रकार के होते है :

  1. करैक्टर प्रिंटर्स
  2. लाइन प्रिंटर्स

1. करैक्टर प्रिंटर क्या है?

कॅरेक्टर प्रिंटर एक बार में पेपर पर गतिमान होकर सिर्फ एक ही वर्ण छापता है और इसकी गति भी अपेक्षाकृत धीमी होती है जैसे डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर। इसे सीरियल प्रिंटर भी कहते है। इसकी गति 200 से 400 वर्ण प्रति सेकण्ड तक होती है जो की लगभग 90 से 180 लाइन्स प्रति मिनट होती है। कॅरेक्टर प्रिंटर के प्रकार है : डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर और डेज़ी व्हील प्रिंटर्स

1. डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर क्या है?

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की गति तथा छपाई की गुणवत्ता इसमें प्रयोग होने वाले पिनों की संख्या पर निर्भर करती है। यह भी 80 कॉलम और 132 कॉलम दो तरह की क्षमताओं में आते है। इसमें प्रिंटिंग का खर्चा बांकी प्रिंटरों की अपेक्षा कम आता है लेकिन प्रिंट की गुणवत्ता और स्पीड दूसरे प्रिंटर्स के मुकाबले कम होती है।

2. डेज़ी व्हील प्रिंटर क्या है?

इसकी कार्य प्रणाली एक टाइपराइटर की तरह ही है। इस प्रिंटर का मुख्य भाग गोलाकार होता है जिसे डेज़ी व्हील कहा जाता है और इस व्हील के परिधि में पहले से निर्धारित अक्षर और वर्णमाला होती है। इस व्हील के परिधि के पंखुड़ियों में अंक, अक्षर और चिन्ह होती है। ये प्रिंटिंग व्हील एक मोटर की सहायता से तेजी से घूमता है और जब प्रिंट की बारी आती है तो ये रूककर प्रिंट हैमर पेपर पर दबाती है जिससे पेपर पर प्रिंट होता है।

डेज़ी व्हील प्रिंटर्स (Daisy Wheel Printer)
डेज़ी व्हील प्रिंटर

इस प्रिंटर को डेज़ी व्हील प्रिंटर इसलिए कहा जाता है क्योकि इसके अंदर का डेज़ी व्हील एक डेज़ी नामक फ्लावर के जैसा है। डेज़ी व्हील प्रिंटर केवल अक्षर, अंक और चिन्हे (symbols) प्रिंट कर सकते है यानि ये फोटो, इमेजेस या किसी भी तरह के ग्राफ़िक्स छाप नहीं सकते। इसके प्रिंट करने की गति लगभग 10 से 75 कॅरेक्टर प्रति सेकंड तक होती है यानि ये एक बहुत धीरे चलने वाला प्रिंटर है।

2. लाइन प्रिंटर क्या है?

करैक्टर प्रिंटर की तुलना में ये तेज होते है। इनके प्रिंट करने की क्षमता लगभग एक बार में 400 से 6000 लाइन्स प्रति मिनट तक होती है। इसका इस्तेमाल ज्यादातर औद्योगिक क्षेत्र और डाटा सेंटर्स में किया जाता है। इसे बार प्रिंटर्स भी कहा जाता है। ये एक बार में एक पुरे लाइन को छापती है इसलिए इसे लाइन प्रिंटर कहते है। इसके लिए प्रिंटर पेपर पर एक बार में विभिन्न प्रिंट हैमर से एक साथ दबाव या चोट करती है।

लाइन प्रिंटर्स के प्रकार निम्न है :

1. ड्रम प्रिंटर क्या है?

ड्रम प्रिंटर में घूमने वाला एक ठोस सिलेंडर होता जिसकी सतह पर कॅरेक्टर उभरे होते है। जो की ट्रैक्स में बंटे होते है जिनका आकर प्रिंटर पर इस्तेमाल किये जाने वाले पेपर के बराबर होता है। सभी ट्रैक्स में कॅरेक्टर के समुह होते है और उन कॅरेक्टर के लिए अलग अलग प्रिंट हैमर लगे रहते है।

Drum Printer Mechanism
Drum Printer Mechanism

जब प्रिंटर पर प्रिंट आदेश जाता है तो इसमें लगा ड्रम तेजी से घूमने लगता है और जिस कॅरेक्टर की जरुरत होती है उसे जल्दी से प्रिंट हैमर तक पंहुचाती है। इसके बाद प्रिंट हैमर की बारी आती है और ये आदेशानुसार कॅरेक्टर को स्याही लिप्त रिबन पर दबाव कर पेपर पर प्रिंट कर देता है। इसमें ड्रम हर चक्कर में केवल एक ही लाइन छापती है। इसलिए जैसे ही एक लाइन पूरा हो जाता है तो दूसरे लाइन के प्रिंटर पेपर को ऊपर की ओर धकेल देता है।

2. चेन प्रिंटर क्या है?

Chain Printer Mechanism
Chain Printer Mechanism

चेन प्रिंटर्स में एक घूमने वाली चैन लगी होती है जिसकी सतह पर कॅरेक्टर समूह रहते है। ये चैन कल पुर्जे की सहायता से इस तरह जुड़े होते है की ये प्रिंटर केआदेशनुसार सामानांतर घूम सके। इन प्रिंटर्स में भी प्रिंट हैमर लगे होते है।

प्रिंटर में प्रिंट आर्डर मिलने पर इसमें लगा चैन उन कॅरेक्टर के साथ घूमने लगता है और एक निश्चित प्रिंट अवस्था में आने पर इसमें लगा प्रिंट हैमर पेपर के विपरीत स्याही लिप्त फीते पर इस तरह दबाव डालती है की चैन की ऊपरी सतह पर वांछित कॅरेक्टर प्रिंट हो जाए।

3. बैंड प्रिंटर क्या है?

बैंड प्रिंटर्स में स्टील का पट्टा लगा रहता है, जिसके ऊपरी सतह पर कॅरक्टर खुदे होते है। इन प्रिंटर्स में भी हैमर होते है पर चैन प्रिंटर की तुलना में इनकी संख्या कम होती है। और हैमर इस तरह लगी होती है की ये पेपर पर प्रिंट पोजीशन के अनुरूप दूसरे जगह पर चोट कर सकते है।

Band Printer Mechanism
Band Printer Mechanism

प्रिंट करते समय जब ये प्रिंट हैमर सही स्थिति पर पहुँचते है तो ये स्याही से लिप्त फीते पर चोट करता है जो की आगे चलकर स्टील के पट्टे पर लिपटता है। जिसकी वजह से पट्टे पर बने कॅरेक्टर पेपर पर छपते है क्योकि पेपर, स्टील के पट्टे और स्याही लगे रिबन के मध्य स्थिति में रहता है।

2. नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर क्या है?

नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर में एक पुरे पेज को एक बार में प्रिंट करने के लिए आधुनिक कार्यविधिक का प्रयोग करती है। इसी कारण से ही इन प्रिंटर्स को पेज प्रिंटर्स भी कहा जाता है। पेज प्रिंटर्स के छपाई की गति बहुत ही तेज होती है और इसमें लार्ज डाटा प्रिंट करने की क्षमता होती है। ये एक बार में 800 पेजेस प्रति मिनट की गति से प्रिंट कर सकती है।

आम तौर पर इसके मशीनरी इम्पैक्ट प्रिंटर की तरह कागज को सीधे संपर्क यानि स्पर्श या चोट नहीं करती। इनमें भिन्न भिन्न तकनीकों का प्रयोग होता है जैसे इंकजेट, लेज़र, केमिकल,इलेक्ट्रोस्टैटिक या ज़ेरोग्राफ़िक तकनीक।

इन प्रिंटर में प्रिंट करने के लिए स्याही से लिप्त रिबन नहीं होता है और ना ही इसके कार्यविधि में कोई भी मुद्रित हैमर का प्रयोग होता है। नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर की गुणवत्ता बेहतर और गति तेज होती है। ये तीन तरह के होते है : इंकजेट प्रिंटर्स, लेज़र जेट प्रिंटर्स और थर्मल प्रिंटर्स ।

नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर्स को निम्न प्रकारों में श्रेणीबद्ध किया गया है।

1. लेज़र प्रिंटर क्या है?

लेज़र प्रिंटर मे, अंक, अक्षर, आकृतियाँ या किसी भी तरह के डाक्यूमेंट्स को पेपर पर छापने के लिए जिन बिंदुओं की जरुरत होती है उन्हें लेज़र तकनीक के माध्यम से बनाया जाता है। जब प्रिंटर में प्रिंट का आदेश जाता है तो प्रिंटर के अंदर लगे सेलेनियम की परत वाली ड्रम पर लेज़र बीम, विद्युत आवेशों को नियंत्रित कर टेक्स्ट और आकृतियाँ बनाती है।

इस प्रक्रिया में जितनी बार लेज़र किरणे ड्रम को छूती है, ये ड्रम पर विद्युत् आवेश को बदलते जाती है। फिर टोनर रिज़र्वायवर की सहायता से ड्रम घूमता है, जो की आवेशित भाग के संपर्क में आने के बाद ड्रम पर आकृतियाँ बनाने की प्रक्रिया पूरी करती है इसके पश्चात पेपर पर उष्मा और दबाव के साथ प्रिंट कर स्थानांतरित किया जाता है।

लेज़र प्रिंटर के प्रिंट की गति और गुणवत्ता दुसरो के मुकाबले बेहतर होती है तथा इनका कार्टरिज भी लम्बे समय तक चलता है। लेज़र प्रिंटर दो तरह के होते है मोनो और कलर प्रिंटर। लेज़र प्रिंटर्स की गति इंकजेट प्रिंटर से भी तेज होती है। इनके प्रिंट करने की क्षमता को PPM यानि पेज प्रति मिनट के हिसाब से मापा जाता है। एक लेज़र प्रिंटर आसानी से 30 से 40 पृष्ठ एक मिनट में छाप सकती है।

2. इंकजेट प्रिंटर क्या है?

इंकजेट प्रिंटर प्रिंट करने के लिए महीन नोजल से जल्दी सूखने वाली विशेष स्याही की एक धारा छोटी छोटी बूंदों के रूप में पेपर पर छोड़ती है। इसमें लगी चुंबकीय प्लेटें उन बूंदों को प्रिंट आदेश के अनुरूप पेपर पर निर्देशित करती है जिससे अक्षर एवं आकृतियाँ पेपर पर छप जाते है।

इसमें स्याही इंक कार्टरिज में संगृहीत होती है। अक्सर सभी मुख्य रंगो के लिए अलग अलग कार्टरिज होते है। जो की काला, पीला, लाल/मैजंटा और हरा/स्यान रंग के होते है। ये प्रिंटर दो प्रकार के होते है : मोनो और कलर।

3. थर्मल प्रिंटर क्या है?

थर्मल प्रिंटर में एक विशेष तापमान की गर्मी सहने वाले थर्मल पेपर का इस्तेमाल किया जाता है इन पर विशेष रूप से गर्मी के प्रति संवेदनशील परत चढ़ाकर बनाई जाती है। थर्मल प्रिंटर में आकृतियाँ बनाने के लिए विद्युत् से गर्म हुए पिनों को पेपर पर दबाया जाता है। ये जितने अधिक गर्म होते है इनकी छाप उतने ही गहरे काले रंग होते जाते है। इसलिए जब गर्म पिनें पेपर पर पड़ती है तो उससे सम्बंधित एरिया काला हो जाता है।

इनमें गर्म करने वाला अवयव विद्युत् प्रवाह का प्रयोग कर गर्म होता है। इसके अतिरिक्त हर आकृतिया जो इस प्रिंटर में प्रिंट की जाती है वो उन गर्म पिनों द्वारा बनाये गए बिंदुओं के साँचों को जोड़कर किया जाता है। जब पेपर प्रिंट हेड से होकर गुजरती है तो पेपर के उस भाग में लगी परत काले रंग में बदल जाते है, जो की गर्मी से बनाई जा रही आकृति होती है।

इस तरह के प्रिंटर बिना शोर गुल के बेहतर गुणवत्ता वाले प्रिंट करती है। इनका इस्तेमाल ज्यादातर बिलिंग कॅल्क्युलेटर्स और फैक्स मशीनों में किया होता है।

4. फोटो प्रिंटर क्या है?

फोटो प्रिंटर भी नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर के प्रकारों में शामिल है। इसका इस्तेमाल विशेष रूप से तस्वीरों को प्रिंट करने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं। इसलिए आमतौर पर ये फोटोग्राफी स्टूडियो में पाए जाते हैं, हालाँकि ये घरेलू उपयोग के लिए भी उपलब्ध हैं।

प्रिंटर के भाग (Parts of a Printer)

अब तक आपने प्रिंटर के बारे में तो जान ही लिया होगा, आइये इसके मुख्य भागों के बारे में भी जाने। क्योकिं प्रिंटर खरीदते समय आपको सही निर्णय लेने के लिए इसके प्रमुख घटकों की जानकारी अवश्य होनी चाहिए।

  1. प्रिंट हेड: प्रिंट हेड कागज पर स्याही या टोनर स्थानांतरित करने के लिए जिम्मेदार है।
  2. कार्ट्रिजेस/टोनर्स: इंकजेट प्रिंटर इंक कार्ट्रिजेस का उपयोग करते हैं, जबकि लेजर प्रिंटर में टोनर कार्ट्रिजेस इस्तेमाल होते हैं।
  3. पेपर फीडर: पेपर फीडर प्रिंटिंग प्रक्रिया के माध्यम से प्रिंटिंग सिस्टम तक ले जाने का काम करता है।
  4. कण्ट्रोल पैनल: कण्ट्रोल पैनल के माध्यम से प्रिंटर को आदेश दिया जाता है।

निष्कर्ष

प्रिंटर एक आवश्यक आउटपुट डिवाइस है जो इलेक्ट्रॉनिक फ़ाइलों और डिजिटल डेटा को पेपर-आधारित दस्तावेजों में बदलता है। घर और कार्यालय में प्रयोग होने वाले प्रिंटर से लेकर बड़े औद्योगिक प्रिंटर तक, व्यवसायों और लोगों को दस्तावेज़ों, तस्वीरों, रिज्यूमे, मैनुअल, पुस्तकों, आदि प्रिंट करने की सुविधा प्रदान करते हैं। उम्मीद करते हैं की, आपको Printer क्या है?, प्रिंटर के आविष्कारक कौन हैं, प्रिंटर के कार्य, प्रकार, उपयोग और परिभाषा की जानकारी मिल गई होगी।

FAQs

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रिंटर से सम्बंधित बहुविकल्पीय प्रश्नों की तैयारी के लिए हमारे ब्लॉग में “Printer MCQ‘ लेख जरूर पढ़ें। तो आइये जाने प्रिंटर के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले कुछ सवाल और उनके जवाब:

इंकजेट और लेजर प्रिंटर में क्या अंतर है?

इंकजेट प्रिंटर उच्च गुणवत्ता वाले फोटो प्रिंटिंग और कलर डॉक्यूमेंट के लिए बेहतर होते हैं, जबकि लेजर प्रिंटर कम लागत के साथ तेज और ज्यादा डाक्यूमेंट्स प्रिंट करने में बेहतर होते हैं।

प्रिंटर खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

अपने घर या कार्यालय के लिए प्रिंटर खरीदते समय प्रिंटिंग स्पीड, रेसोलुशन, कनेक्टिविटी विकल्प और प्रति पृष्ठ लागत जैसे बातों पर विचार किया जाना चाहिए।

क्या 3 डी प्रिंटर केवल औद्योगिक उपयोग के लिए हैं?

3 डी प्रिंटर का व्यापक रूप से उद्योगों में उपयोग किया जाता है, हालाँकि व्यक्तिगत उपयोग के लिए भी 3 डी प्रिंटर उपलब्ध हैं, जिससे शौकियों लोगों को विभिन्न वस्तुओं को बनाने की सुविधा मिलती है।

प्रिंटर का आविष्कार कब हुआ?

दुनिया के सबसे पहले कंप्यूटर प्रिंटर का आविष्कार 1953 में किया गया था, इसे Remington-Rand कंपनी द्वारा UNIVAC कंप्यूटर में इस्तेमाल के लिए विकसित किया गया था।

प्रिंटर कितने प्रकार के होते है?

कार्य विधि के अनुसार कंप्यूटर दो प्रकार के होते है इम्पैक्ट प्रिंटर्स और नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर्स

प्रिंटर का कार्य क्या है?

प्रिंटर का कार्य कंप्यूटर से प्राप्त डाटा को पेपर पर आउटपुट के रूप में प्रिंट करना होता है।

क्या स्मार्टफ़ोन से किसी भी प्रिंटर पर वायरलेस रूप से प्रिंट कर सकते हैं?

हां, अधिकांश आधुनिक प्रिंटर वायरलेस प्रिंटिंग फीचर्स के साथ आते हैं, जिससे आप अपने स्मार्टफोन और टैबलेट से भी प्रिंट कर सकते हैं।

डुप्लेक्स प्रिंटिंग क्या है, और यह उपयोगी क्यों है?

डुप्लेक्स प्रिंटिंग कागज के दोनों तरफ औटोमाटिकली प्रिंट करने की फीचर को कहा जाता है। यह कागज की बचत और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए उपयोगी है।

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