कंप्यूटर का इतिहास (History of Computers)

कंप्यूटर शब्द की उत्पत्ति अंग्रेजी के कंप्यूट शब्द से मानी जाती है जिसका अर्थ है गणना करना या गिनना। निसंदेह इसका पहला विचार तभी पनपा होगा जब मनुष्य ने अपनी वस्तुओं को गिनना शुरू किया होगा इसी विचार ने विकसित होकर कंप्यूटर को मूर्तरूप दिया जिसे सैद्धांतिक रूप में दो गणितज्ञों ब्लेज पास्कल (1623-62 ई) तथा गॉटफ्रीड लीबनित्ज (1646-1716 ई) के कार्यों में देखा गया। कालांतर में चार्ल्स बैवेज (1792-1871 ई. ) ने जॉन नैपियर (1550-1617 ई.) द्वारा खोजे गए लघुगणक अंकनों को समाहित करने योग्य एक कैलकुलेटिंग मशीन बना डाली।

कंप्यूटर की हर पीढ़ी में कुछ नया बदलाव दिखाई दिया। पहली चार पीढ़ियों में वैक्यूम ट्यूब, ट्रांजिस्टर एवं प्रिंटेड सर्किट तकनीक, इंटीग्रेटेड सर्किट तकनीक तथा लार्ज स्केल इंटीग्रेटेड तकनीक में प्रयोग हुए थे। विकास के दौरान कंप्यूटर में प्रयुक्त भागों का आकार छोटा रहा और क्षमता उत्तरोतर बढ़ती रही। आकार के दृष्टि से कमरे के आकार का विशाल कंप्यूटर क्रमशः माइक्रो, मिनी, सुपर मिनी, मेनफ्रेम, सुपर कंप्यूटर, लैपटॉप में बदलता गया। तो दूसरी ओर उसे संचालित करने वाले तत्त्वों में भी बदलाव आया।

कार्य पद्धति के आधार पर डिजीटल कंप्यूटर, एनॉलॉग कंप्यूटर, हाईब्रिड, ऑप्टिकल एवं एटोमिक कंप्यूटर बने। प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, 1946 में दुनिया का पहला पूर्णतया इलेक्ट्रॉनिक डिजीटल स्टोरेज क्षमता में बदलाव आया। आज का कंप्यूटर टचस्क्रीन एवं कंप्यूटर ENIAC बना। यह कंप्यूटर की पहली पीढ़ी थी। जिसमें वर्चुअल रूप ग्रहण कर चुका है और यह विकास निरंतर जारी वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग हुआ था। इसके बाद निरंतर विकास हुआ है। कंप्यूटर की इसी यात्रा की महत्त्वपूर्ण घटनाओं को ज्ञानवर्धनक एवं संक्षिप्त में आप भी जानिए : कंप्यूटर का इतिहास –

कंप्यूटर का इतिहास और विकास

  • 500 ई.पू. बेबीलोन (मिस्र) में प्राचीनतम गणन मशीन या अंकगणक (एबेकस) का प्रयोग ।
  • 200 ई.पू. चीन और जापान में कंप्यूटिंग ट्रे का प्रयोग आरंभ।
  • 1300 ई. चीन में एबेकस के प्रचलित रूप का सर्वप्रथम प्रयोग।
  • 1614 ई. स्कॉटलैंड के गणितज्ञ जॉन नेपियर द्वारा लघुगणक का आविष्कार जिसे नैपियर राड्स कहा गया।
  • 1623 ई. जर्मन के गणितज्ञ विल्हेम शीकार्ड द्वारा प्रथम मैकेनिकल ‘कैलकुलेटिंग क्लॉक’ का विकास किया जो जोड़, घटा, गुणा व भाग करने में सक्षम था।
  • 1642 ई. फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज पास्कल द्वारा पास्कललाइन नामक मशीन का आविष्कार जो जोड़-घटा करने में सक्षम थी। यह शीकार्ड की कैलकुलेटिंग क्लॉक के समान थी। इसे ऐडिंग मशीन भी कहा गया और पास्कलाइन भी।
  • 1666 ई. गॉटफ्रीड लीबनित्ज द्वारा कंप्यूटर संबंधी सिद्धांत के प्रथम नियम का प्रतिपादन।
  • 1672-74 ई. गॉटफ्रीड लीबनित्ज द्वारा ‘द स्टैप्ट रेकनर’ नामक अपने प्रथम कैलकुलेटर का निर्माण, जो गुणा भाग भी कर सकता था। यूएस ने भी इसी समय ऐसा कुछ बनाया था।
  • 1679 ई. लीबनित्ज द्वारा कंप्यूटरों में प्रयोग की जाने वाली संकेत पद्धति के द्विवर्णी यंत्र का विकास किया।
  • 1786 ई. सैन्य अधिकारी जे एच मूलर ने न्यूटन के ‘मेथड ऑफ डिफरेन्सेस’ के आधार पर एक मैकेनिकल कैलकुलेटर ‘डिफरेंस इंजन’ की संकल्पना बनाई थी।
  • 1801 ई. फ्रांसीसी वैज्ञानिक जोसेफ मेरी जेकार्ड ने लूम (करघे) के लिए प्रोग्रामिंग युक्त नई नियंत्रण प्रणाली का प्रदर्शन किया जिससे पेपर कार्डों में छेदों के पैटर्न के द्वारा मशीन को इच्छानुसार बुनाई कार्य (वीविंग ऑपरेशन) का आदेश दिया जाना संभव हुआ।
  • 1820 ई. फ्रांस के चार्ल्स थॉमस डि कोल्मर द्वारा वृहद स्तर पर प्रयोग किए जाने वाले पहले कैलकुलेटर ‘अर्थोमीटर’ का विकास।
  • 1822 ई. ब्रिटिश गणितज्ञ चार्ल्स वेबैज द्वारा लघुगणकों की गणना के लिए पहले मैकेनिकल कंप्यूटर डिफरेंस मशीन की प्रथम प्रतिकृति का विकास।
  • 1832 ई. चार्ल्स वैबेज ने इंजीनियर व ड्राफ्समैन जोसफ क्लिमेंट के सहयोग से जैकार्ड पंच कार्ड प्रणाली का प्रयोग करके डिफरेंस इंजन नामक एनालिटिकल मशीन का प्रथम डिजाइन तैयार किया। इसे आधुनिक कंप्यूटरों का पूर्ववर्ती या अग्रदूत माना जा सकता है। किंतु तब उसके इस क्रांतिकारी आविष्कार को महत्व नहीं दिया गया।
  • 1834 ई. जैकार्ड पंच कार्ड प्रणाली पर प्रोग्राम को स्टोर कर एनालिटिकल इंजन की अवधारणा एवं डिजाइन का निर्माण।
  • 1842 ई. ऐडा लवलेस (काउंटेंस ऑफ लवलेस) ने डिफरेंस इंजन द्वारा बर्नोली संख्याओं की गणना की विधि के संबंध में एक योजना भेजी।
  • 1842 ई. अत्यधिक खर्च के कारण डिफरेंस इंजन परियोजना निरस्त कर दी गई।
  • 1848 ई. ब्रिटिश गणितज्ञ जार्ज बूल ने बाइनरी अल्जेब्रा पर विचार किया। यह बाद में बूलियन अल्जेब्रा कहलाया जो सौ वर्षों उपरांत बाइनरी कम्प्यूटिंग के लिए अनिवार्य आधार बना।
  • 1878 ई. न्यूयार्क शहर में रेमन वेरिया ने बैंकनोट्स को गिनने के लिए एक स्ट्रोक से गणना करने वाली कैलकुलेटिंग मशीन बनाई। इस विधि को बाद में इसे सभी मशीनों में अपनाया जाने लगा।
  • 1885 ई. अमेरिका के फ्रैंक बाल्डविन एवं रूस में रहने वाले एक स्वीडिश टी ऑडनर ने एक ही समय पर, किंतु स्वतंत्र रूप से ऐसा गुणन कैलकुलेटर बनाया जो अर्थोमीटर से ज्यादा छोटा था और लिबनित्ज की मशीन का सुधरा रूप था।
  • 1886-89 शिकागो में मशीन की दुकान पर काम करने वाले डॉरर फेल्ट ने ‘कॉम्पोमीटर’ नामक पहला मैकेनिकल कैलकुलेटर बनाया। जिसमें अन्य मशीनों से डायल करने की बजाए कीज दबाकर डाटा डाला जाता था। फेल्ट पहला प्रिंटिंग डेस्क कैलकुलेटर बनाने में प्रयासरत था।
  • 1886 ई. अमेरिका के विलियम एस बारोस (1855-1898) ने व्यवसायिक रूप से सफल यांत्रिक जोड़ने वाली प्रथम मशीन का विकास किया।
  • 1887 ई. अमेरिकी इंजीनियर हरमन हॉलेरिथ (1860-1929) ने अमेरिकी जनगणना के लिए टैबुलेटिंग मशीन का आविष्कार किया।
  • 1889 ई. हरमन हॉलेरिथ ने इलेक्ट्रो मैकेनिकल पंच कार्ड टैबुलेटिंग सिस्टम नामक इस मशीन को पेटेंट कराया जिससे सांखिकी आंकड़ों पर भारी मात्रा में कार्य करना संभव हुआ। इस टेबुलेटिंग मशीन का उपयोग अमेरिकी जनगणना में किया गया।
  • 1931 ई. अमेरिका के वान्नेवर बुश (1890-1974) ने कम्प्यूटिंग मशीन डिफ्रेंशियल एनालाइजर का विकास किया जिसमें पहली बार इलेक्ट्रॉनिक अवयवों का प्रयोग किया गया था।
  • 1937 ई. जॉन वी अटानासॉफ ने प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर पर कार्य आरंभ किया।
  • 1937 ई. जर्मनी के कोनार्ड ज्यूसे (1910-1995) ने ‘जेड 1’ नामक मशीन का आविष्कार किया जिसमें दशमलव पद्धति के स्थान पर द्विवर्णी पद्धति का प्रयोग किया गया था। इसमें कीबोर्ड के जरिए सूचनाएं डाली जाती थी और गणना के परिणामों को दर्शाने के लिए बिजली के बल्बों का प्रयोग किया गया था।
  • 1939 ई. आयोवा स्टेट कॉलेज के भौतिकविद् जॉन विन्सेंट अटानासॉफ और क्लिफोर्ड बैरी नामक इंजीनियरों ने पहला डिजीटल कम्प्यूटर विकसित किया।
  • 1940 ई. कोनार्ड ज्यूसे ने ‘जेड 2’ मशीन में संख्याओं के संग्रह हेतु इलेक्ट्रानिक रिले का प्रयोग किया।
  • 1941 ई. कोनार्ड ज्यूसे ने ऐसे प्रथम क्रियात्मक डिजीटल कंप्यूटर ‘जेड 3’ का आविष्कार किया जिसे प्रोग्राम द्वारा नियंत्रित किया जा सकता था। किंतु यह इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर न होकर विद्युतीय स्विचों पर आधारित था। जिसे रिले कहा जाता था।
  • 1942 ई. अटानासॉफ और उनके सहयोगी बेरी ने प्रथम पूर्णतया इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर के कार्यात्मक मॉडल का निर्माण किया। इसमें वैक्यूम ट्यूबों का प्रयोग किया गया था जिससे रिले की अपेक्षा तेजी से काम हो सकता था। हालांकि इस प्रारंभिक कंप्यूटर को प्रोग्राम नहीं किया जा सकता था।
  • 1943 ई. ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मन सेना के कूटभाषिक संदेशों को तोड़ने के लिए प्रथम पूर्णतया इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर कोलोसस का उपयोग किया। इसका निर्माण तूरिंग ने किया था। इसमें गणना के लिए 2000 निर्वात नलिकाओं का उपयोग किया गया था। यह कंप्यूटर प्रति सेकंड 5000 अक्षरों को ग्रहण करने में सक्षम था।
  • 1944 ई. आईबीएम और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हॉवर्ड आइकेन ने प्रथम लार्ज स्केल ऑटोमेटिक डिजीटल कंप्यूटर ‘मार्क 1’ निर्मित किया। यह विशाल मशीन रिले पर आधारित थी और 55 फीट लंबी व 8 फीट ऊंची थी।
  • 1946 ई. पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय में भौतिकविद जॉन माउचली एवं इंजीनियर जो प्रेस्पर इकेर्ट ने अमेरिकी सेना के लिए ‘इनियाक’ (इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटिड एंड कंप्यूटर) का निर्माण किया। कमरे के आकार के इस कंप्यूटर का वजन 30 टन था और इसमें लगभग 18,000 वैक्यूम ट्यूब लगी थी। अलग-अलग कार्यों के लिए इसकी प्रोग्रामिंग की जा सकती थी। यह प्रथम पूर्णतया इलेक्ट्रॉनिक डिजीटल कंप्यूटर था । इनियाक एक सेकंड में 5000 जोड़ घटा प्रक्रिया करने में सक्षम था।
  • 1948 ई. मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में विकसित ‘मार्क 1’ पहली बार प्रोग्राम संग्रह करने वाला कंप्यूटर बना। विलियम शॉकले के आविष्कार ट्रांजिस्टर को निर्वात नलिका की जगह उपयोग कर कंप्यूटर की गति तेज हो गई। परिणामस्वरूप आईबीएम, बेल टेलीफोन एवं स्पेरैंड ने व्यावसायिक कंप्यूटरों का उत्पादन आरंभ किया।
  • 1949 ई. वैन-न्यूमेन के सिद्धांत से प्रेरित होकर Electronic Delay Storage Automatic Calculator EDSAC का निर्माण हुआ।
  • 1950 ई. 1950-51 के दौरान इकेर्ट और माऊचली ने ‘एडबेक’ (इलेक्ट्रॉनिक डिस्क्रीट वैरीएबल ऑटोमैटिक कंप्यूटर) का विकास किया जिसमें संग्रहण के लिए पहली बार चुम्बकीय डिस्क का प्रयोग किया।
  • 1951 ई. इकेर्ट ओर माऊचली ने प्रथम व्यावसायिक कंप्यूटर ‘यूनिवेक’ का निर्माण किया। यह वैक्यूम ट्यूब कंप्यूटर था जिसमें चुम्बकीय टेप की सहायता से सूचनाएं प्राप्त होती थी।
  • 1951 ई. व्यावसायिक रूप से उत्पादित फेर्रान्टी मार्क 1 नामक कंप्यूटर का निर्माण।
  • 1953 ई. आईबीएम ने आईबीएम701 तथा आईबीएम650 का विकास किया जो अपनी तरह का पहला डिजीटल कंप्यूटर था।
  • 1953 ई. प्रथम उच्च गति के प्रिंटर का निर्माण।
  • 1956 ई. पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शब्द का प्रयोग।
  • 1958 ई. कंट्रोल डेटा कारपोरेशन द्वारा ‘CDC 1604’ नामक कंप्यूटर का निर्माण। इसमें पूरी तरह से ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया गया। इसी वर्ष अमेरिका के जैक किल्बी और रॉबर्ट नायसे ने पहले इंटीग्रेटेड सर्किट का निर्माण किया।
  • 1960 ई. डिजीटल इक्विपमेंट कारपोरेशन द्वारा विकसित व्यावसायिक कंप्यूटर में कीबोर्ड और मॉनीटर प्रयोग किया गया। साथ ही आंकड़े संग्रह करने हेतु हटाई जा सकने वाली चुम्बकीय डिस्क का प्रयोग किया गया।
  • 1963 ई. डिजीटल इक्विपमेंट कारपोरेशन ने प्रथम व्यावसायिक मिनी कंप्यूटर ‘पीडीपी-8’ का निर्माण किया। बेल कंपनी ने इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर का निर्माण किया।
  • 1965 ई. आईबीएम ने प्रथम इंटीग्रेटेड सर्किटयुक्त कंप्यूटर्स को बाजार में उतारा। डार्टमाउथ कालेज, अमेरिका के जॉन केमेनी और थॉमस कुर्ट्ज ने कंप्यूटर भाषा बेसिक (BASIC-बिगनर्स ऑल परपस सिम्बॉलिक इंस्ट्रक्शन कोड) का आविष्कार किया।
  • 1965 ई. प्रथम सुपर कंप्यूटर कंट्रोल डाटा सीडी6600 का विकास।
  • 1969 ई. 1969 से 1971 के बीच बेल लेबोरेटरी में यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ।
  • 1969 ई. इंटरनेट के प्रथम भाग अरपानेट को सैन्य कार्यों के लिए स्थापित किया गया।
  • 1970 ई. डाटा संग्रह के लिए फ्लॉपी डिस्क का विकास ।
  • 1971 ई. इंटेल द्वारा प्रथम व्यावसायिक माइक्रोप्रोसेसर ‘इंटेल 4004’ का विकास। प्रथम इलेक्ट्रॉनिक पॉकेट कैलकुलेटर का विकास।
  • 1973 ई. जीरॉक्स कारपोरेशन द्वारा कंप्यूटर को निर्देश देने के लिए हाथ से पकड़े जाने वाले माउस का विकास। बेहतर तरीके से ग्राफिक्स को दर्शाने के लिए ‘बिट मैप्ड मॉनीटर’ का विकास ।
  • 1975 ई. व्यावसायिक रूप से प्रथम सफल पर्सनल कंप्यूटर (यानि पीसी) MITS Altair 8800 को बाजार में उतारा गया। 256 बाइट्स शक्ति वाला यह पीसी किट रूप में था किंतु इसमें की बोर्ड वे वीडियो डिस्प्ले नहीं थे।
  • 1975 ई. प्रति सेकंड 10 करोड़ गणना करने वाले सुपरकंप्यूटर ‘क्रे 1’ का निर्माण।
  • 1976 ई. पीसी के लिए प्रथम वर्ड प्रोग्रामिंग प्रोग्राम इलेक्ट्रिक पेंसिल का निर्माण ।
  • 1977 ई. बिल गेट्स व पॉल एलेन ने मिलकर माइक्रोसॉफ्ट कारपोरेशन की स्थापना की। एप्पल ने Apple II बाजार में उतारा जिससे रंगीन टेक्स्ट एवं ग्राफिक्स का प्रदर्शन संभव हो सका।
  • 1981 ई. आईबीएम ने अपना पीसी बाजार में उतारा जिसमें माइक्रोसॉफ्ट के DOS (डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम) का प्रयोग किया गया था।
  • 1984 ई. एप्पल ने प्रथम मैकिंटोश को बाजार में बिक्री के लिए उतारा जिसमें पहली बार GUI (ग्राफिकल यूजर इंटरफेस) और माउस की सुविधा दी गई थी।
  • 1984 ई. अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों को सूचनाएं उपलब्ध कराने के लिए इंटरनेट का आरंभ।
  • 1985 ई. 1.2 अरब गणना करने में सक्षम ‘क्रे-2’ सुपरकंप्यूटर का विकास।
  • 1988 ई. प्रथम ऑप्टिकल माइक्रोप्रोसेसर का विकास, जिसमें बिजली की जगह प्रकाश (लाइट) का प्रयोग किया गया।
  • 1989 ई. 20 करोड़ अक्षर संग्रहित करने में सक्षम सिलिकॉन चिप का विकास।
  • 1990 ई. माइक्रोसॉफ्ट कारपोरेशन द्वारा अपने ग्राफिकल यूजर इंटरफेस का पहला वर्जन विंडोज 3.0 बाजार में उतारा गया।
  • 1991 ई. प्रति सेकंड 9.03 अरब गणना करने में सक्षम समानान्तर सुपर कंप्यूटर का विकास।
  • 1991 ई. हेलसिंकी विश्वविद्यालय के छात्र लाइनस टोरवाल्ड्स ने पीसी के लिए लाइनेक्स का आविष्कार किया।
  • 1992 ई. फिलिप्स द्वारा CD-T (कॉम्पेक्ट डिस्क इंटरेक्टिव) का विकास, जिसके द्वारा घरेलू यूजर्स मल्टीमीडिया का उपयोग कर सकते थे।
  • 1993 ई. इंटेल ने पेंटियम चिप का विकास किया। इसमें 31 लाख ट्रांजिस्टर लगे थे तो दूसरी ओर जापानी कंपनी फूजित्सू ने 256 मेगाबाइट क्षमता वाली चिप विकसित की।
  • 1995 ई. माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विंडोज 95 का विकास।
  • 1996 ई. हाथ से पकड़ा जाने वाला ‘पाम पाइलट’ नामक कंप्यूटर पहली बार बाजार में उतारा गया।
  • 1998 ई. माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विंडोज 98 का विकास।
  • 2001 ई. एप्पल ने मैकिंटोश के लिए यूनिक्स आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम OS X बाजार में उतारा।
  • 2000 ई. माइक्रोसॉफ्ट द्वारा विंडोज 2000 का विकास।
  • 2003 ई. आस्ट्रेलियाई कंप्यूटर वैज्ञानिकों ने विश्व का प्रथम पानी के अंदर काम करने वाला कंप्यूटर ‘वेट कंप्यूटर’ विकसित किया जो जल स्रोतों के भीतरी भागों के दृश्यों को स्पष्ट कर सकता था।
  • 2004 ई. एप्पल ने सबसे तेजी से काम करने वाला पीसी ‘पावर मैक जी-5’ पेश किया। जिसमें विश्व का पहला 64 बिट डेस्कटॉप प्रोसेसर लगा था। आईबीएम ने एप्पल के लिए अपने पावर आर्किटेक्चर पर पीसी जी-5 प्रोसेसर का निर्माण किया था।
  • 2007 में एप्पल ने आईफोन लांच किया।
  • 2008 में आइफोन के लिए ईबुक्स सहित एप्पल एप्स्टोर लांच किया गया।
  • 2009 में विंडोज 7 लांच, किंडल 2 लांच।
  • 2011 में एप्पल आईपैड और ओएस एक्स लॉयन का आगमन।

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