ई-लर्निंग क्या है? इसके प्रकार और विशेषताएं

इंटरनेट मनुष्यो द्वारा किये गए महान अविष्कारों में से एक है। इस सदी के विकास में इंटरनेट का बहुत बड़ा योगदान रहा है क्योकि इसके कारण ही कई चीजें आसान और संभव हो पाई है जिसकी कल्पना करना तक मुश्किल था। इसी तरह ई-लर्निंग नें तो पुरे शिक्षा के क्षेत्र में एक नया ही क्रांति ला दिया है जिसके कारण ई पाठ्यक्रम को सरकारें बढ़ावा दे रही है।

जिस तरह से करोड़ो लोग इंटरनेट का हिस्सा बनते जा रहे वैसे ही इंटरनेट और ब्रॉडबैंड की गति में भी बढ़ोतरी हो रही हो रही है। जिसके चलते लोगो को सिखने, पड़ने और अपने हुनर का विकास करने में ई-लर्निंग काफी किफायती और सहूलियत वाला साधन है। आइये जानें ई-लर्निंग क्या है ?

ई-लर्निंग क्या है?

ई-लर्निंग कंप्यूटर आधारित शैक्षिक टूल या प्रणाली है जो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से कहीं भी किसी भी समय अध्ययन और अध्यापन की सुविधा देती है जैसे इंटरनेट पर ऑनलाइन सीखना, पढ़ना और पढ़ाना। वर्तमान में अधिकांश ई-लर्निंग इन्टरनेट के माध्यम से लोगों तक पहुंचाई जाती है। और यह कई तरह से शैक्षिक सामग्रियों को साझा करने की सुविधा देती है। जैसे PDF, ऑडियो/विडियो, स्लाइडशो, लाइव ऑनलाइन क्लास, वर्ड डॉक्यूमेंट और डिजिटल माध्यमो से शिक्षकों से सवाल पूछना आदि।

ई-लर्निंग शब्द ‘E ‘और ‘Learning’ से मिलकर बना है जो इंटरनेट शब्दावली में उपस्थित नामों की तरह ही है। जैसे ईमेल, ई कॉमर्स, आदि। जिसमे ई का अर्थ होता है, इलेक्ट्रॉनिक, कंप्यूटर, इंटरनेट या नेटवर्क पर आधारित। वंही लर्निंग का मतलब हिंदी में सीखना होता है।

अगर E-Learning को इसके नाम के आधार पर परिभाषित करें तो इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों पर अध्ययन करना ही E-Learning है। यह शब्द पिछले कुछ सालों में बहुत तेजी से प्रचिलित हुआ। ई-लर्निंग दूरस्थ शिक्षा का एक नया रूप है और इसे ऑनलाइन शिक्षा भी कहते है।

E-Learning का इतिहास

साल 1999 के दौरान चल रहे पहले कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षण (CBT) प्रणाली के सेमीनार के दौरान E-Learning शब्द का प्रयोग किया गया। वैसे इस नाम के पीछे के सिद्धांत के होने का सबुत 19 वी सदी के अंत में भी मिलते है।

1999 के दौरान CBT पाठ्यक्रमों को कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, वेब बेस्ड ट्रेनिंग, संस्थानों और एजुकेशनल इंट्रानेट के माध्यम से लोगो तक पहुँचाया जाता था। आगे चलकर CD-ROM के जरिये भी इसकी सुविधा शुरू हुई। उन दिनों इसके लिए एक सटीक नाम की खोज के चलते कइयों नाम सामने आये जैसे ऑनलाइन लर्निंग, वर्चुअल लर्निंग, इत्यादि।

E-Learning के प्रकार

इंटरनेट आधारित पाठ्यक्रम मुख्य रूप से दो प्रकार है तुल्यकालिक Synchronous और अतुल्यकालिक Asynchronous. जिनके अलग अलग फायदे और निकसान है।

Synchronous e-learning क्या है?

कोई भी ऐसा टूल या सॉफ्टवेर जिसके माध्यम से विद्यार्थी और शिक्षक वास्तविक समय में प्रश्न उत्तर पूछ और बता सकें Synchronous e-learning कहलाता है। इस पर आधारित पाठ्यक्रम में छात्र दुसरे छात्रों तथा शिक्षक से तुल्यकालिक (Synchronous) वार्तालाप, चैट और अन्य जरुरी गतिविधियाँ कर सकते है।

इसका सबसे बड़ा फायदा यह है की यह छात्रों को उनके भाव और शंकाओं को सत्र के दौरान व्यक्त करने की सुविधा देता है। Synchronous e-learning के उदाहरण है : ऑडियो / विडियो कांफ्रेंसिंग, ऑनलाइन चैट और लाइव क्लास।

Asynchronous e-learning क्या है?

Asynchronous (अतुल्यकालिक) e-learning में समय की पूरी आजादी होती है अर्थात इसमें विद्यार्थी कभी भी अपनी मर्जी के अनुसार अध्ययन कर सकते है। अतुल्यकालिक ऑनलाइन पाठ्यक्रम ऑडियो और विडियो आधारित होते है। लेकिन ये वास्तविक समय में नहीं हो रहे होते मतलब ये रिकॉर्ड करके अपलोड की गई शैक्षिक सामग्रियां होती है।

ई-लर्निंग के फायदे

मानव जीवन के विकास में ज्ञान और जानकारी का सबसे बड़ा योगदान रहा है। जितने ज्यादा लोग शिक्षित होंगे उतने ही तेजी से विकास होगा। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में देखे तो इसके अंतर्गत आने वाले कई हिस्से ऐसे जो काफी महंगे है। जिसके कारण ई-लर्निंग शिक्षा के क्षेत्र में एक नया क्रांति ला सकता है। आइये इसके फायदे जानें :

  1. ई-लर्निंग पारम्परिक शिक्षा की तुलना में बेहद सस्ता है। तथा इसमें शिक्षा पाने के लिए ज्यादा मात्रा में विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए बड़ी बड़ी बिल्डिंग की जरुरत नहीं है और ना ही सिखने वालो को इसके लिए किसी भी तरह की यात्रा करनी पड़ती है।
  2. सभी क्षेत्र से जुड़े ज्ञान, हुनर, सिखने, पढने और योग्यता बढ़ाने के लिए ई-लर्निंग में जानकारियाँ मौजूद होती है और यह सबसे प्रभावकारी और सरल माध्यम भी है।
  3. इसके जरिये किसी भी समय, किसी भी स्थान में कुछ भी सिखा और पढ़ा जा सकता है। ई-लर्निंग में विद्यार्थीयों और संस्थाओं को अपने अनुसार समय और स्थान चुनने की पूरी आजादी है।
  4. विद्यार्थियों और सिखने वालों को उनके गति के अनुसार सिखने और पढने की आजादी देता है। क्योकि कोई धीरे से समझता है तो कोई जल्दी से।
  5. ई-लर्निंग में व्यक्तिगत स्किल यानि हुनर की जानकारियाँ सीख और पढ़ सकते है।

E-Learning के नुकसान

ई-लर्निंग के कईयों फायदें होने के साथ साथ इसके बहुत नुकसान भी है। इसमें जुड़ने वालो की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही और भविष्य में और बढ़ेगी लेकिन इसे छोड़ने वालों की संख्या भी कम नहीं है। क्योकि इसके नुकसान अभी के समय में ज्यादा है जिसकी सूचि आप निचे देख सकते है।

  1. एक सामान्य क्लासरूम की तुलना में इसमें आमने सामने की बातचीत और क्रियाकलाप नहीं होते।
  2. कई बार इन E-Learning प्लेटफार्म में इस्तेमाल की जा रही सामग्रियों की विश्वसनीयता को मापना कठिन हो जाता है।
  3. ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली को सिखने और समझने में थोडा समय लग सकता है।
  4. सर्वर की समस्या होने व इन्टरनेट धीमे होने की स्थितिमें ई-लर्निंग के अनुभाव को ख़राब बना सकता है।
  5. आवश्यकता के समय में विद्यार्थी वास्तविक समय में जरुरी गतिविधियाँ नहीं कर सकते।
  6. विद्यार्थियों को अकेलापन महसूस हो सकता है क्योकि उनका आपस में मिलना नहीं हो सकता।
  7. ई-लर्निंग में नियमो और अनुशाषण की कमी होती है यानि ये पूरी तरह विद्यार्थी पर निर्भर होता है। जिस वजह से वो कभी निराश होकर बिच में ही सिखने की प्रक्रिया को छोड़ सकते है।

FAQ

ई-लर्निंग और स्कूल में शिक्षण में मोबाइल तकनीक कैसे मदद करेगी?

मोबाइल तकनीक का मुख्य खास बात यह है ही इसे आसानी से कहीं भी ले जाय जा सकता है। तथा इसमें किसी भी प्रकार के शैक्षिक अनुप्रयोगों के जरिये परिणाम त्वरित हो सकता है। जिसके कारण समय की भी बचत होगी। तथा बच्चे मोबाइल तकनीक के जरिये किसी भी जानकारी को जल्दी समझते है।

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