कंप्यूटर, लैपटॉप और स्मार्टफोन का डाटा स्टोर करने के लिए अधिकतर हार्ड डिस्क, मेमोरी कार्ड और पेन ड्राइव का उपयोग किया जाता है। क्योंकि इन स्टोरेज डिवाइस में डाटा स्टोर करना बहुत आसान और सुविधाजनक होता है।
लेकिन इन हार्डवेयर स्टोरेज डिवाइस में बहुत सारी कमियां होती है और कभी-कभी इसमें बहुत सारे प्रॉब्लम्स का भी सामना करना पड़ता है, जैसे कि हार्ड ड्राइव और मेमोरी कार्ड का करप्ट हो जाना या हार्ड ड्राइव क्रैश हो जाना या फिर पेनड्राइव लूज़ हो जाना।
तो इन सभी समस्याओं से बचने के लिए डाटा स्टोर करने का एक तरीका और है जिसे क्लाउड स्टोरेज कहा जाता है। तो चलिए इस लेख के माध्यम से आपको बताते हैं कि Cloud Storage kya hai?
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क्लाउड स्टोरेज क्या है (What is Cloud storage )
क्लाउड स्टोरेज, हार्ड ड्राइव या यूएसबी फ्लैश ड्राइव जैसे हार्डवेयर स्टोरेज डिवाइस के बजाय रिमोट सर्वर यानी क्लाउड पर इंटरनेट के माध्यम से डेटा संग्रहीत करने और एक्सेस करने की एक विधि है। क्लाउड स्टोरेज इंटरनेट कनेक्शन वाले किसी भी डिवाइस से अपनी फ़ाइलों, दस्तावेज़ों, फ़ोटो, वीडियो और अन्य डिजिटल सामग्रियों को संग्रहीत करने और एक्सेस करने की सुविधा देता है।
दूसरे शब्दों में: किसी बड़ी कंपनी के द्वारा एक ऐसा कंप्यूटर बनाना या एक ऐसा स्टोरेज सिस्टम बनाना जिसमें बहुत सारा डाटा सेव हो सके और उस डाटा को इंटरनेट की मदद से दुनिया के किसी भी कोने से एक्सेस करना यानी कि उस डाटा के साथ लेनदेन करना क्लाउड स्टोरेज की प्रक्रिया कहलाता है।
यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी बड़ी कंपनी को कुछ पैसे देकर हम उस कंपनी के कंप्यूटर सरवर में डिजिटल स्थान खरीदते हैं और उसी स्थान को क्लाउड स्टोरेज कहा जाता है।
क्लाउड स्टोरेज कैसे बनाया जाता है
क्लाउड स्टोरेज बनाने के लिए सुपर कंप्यूटर में बहुत सारा स्टोरेज डिवाइस यानी कि हार्ड डिक्स और एसएसडी लगाया जाता है। साथ ही इस सुपर कंप्यूटर को सुपर फास्ट इंटरनेट कनेक्शन भी दी जाती है। इन कंप्यूटर्स में बहुत हाई परफॉर्मेंस का मल्टी कोर प्रोसेसर लगाया जाता है। और इन सभी हार्डवेयर को मिलाकर क्लाउड स्टोरेज सिस्टम बनाया जाता है।
एक पूरे क्लाउड स्टोरेज सिस्टम की कैपेसिटी 1024 पेटाबाइट तक की होती है। पर्सनल क्लाउड सर्वर होस्ट करने के लिए NAS डिवाइस का भी उपयोग किया जा सकता है।
डाटा को क्लाउड स्टोरेज में रखने के फायदे
- दुनिया के किसी भी कोने में रहकर इंटरनेट की मदद से क्लाउड स्टोरेज में रखे गए डाटा को बड़ी आसानी से काम में लाया जा सकता है।
- डाटा को क्लाउड स्टोरेज में रखने से डाटा पूरी तरह से वायरस से प्रोटेक्ट रहता है।
- इसमें डाटा को रखने के लिए असीमित स्थान खरीदा जा सकता हैं।
- क्लाउड स्टोरेज में डाटा करप्ट और क्रैश नहीं होता।
क्लाउड स्टोरेज के नुकसान
- आम स्टोरेज डिवाइस के मुकाबले क्लाउड स्टोरेज काफी महंगा होता है।
- बिना इंटरनेट के क्लाउड स्टोरेज के डाटा को एक्सेस नहीं किया जा सकता।
- बैकअप लेते वक्त यह काफी स्लो काम करता है।
- क्लाउड स्टोरेज उपयोग रखने से डाटा हैकिंग के चांसेस बढ़ जाते हैं।
Cloud Storage और Cloud Computing में अंतर
क्लाउड स्टोरेज केवल ऑनलाइन डाटा स्टोरेज की सुविधा होती है, जिसके जरिये आप कहीं से भी अपने डाटा को एक्सेस व साझा कर सकते है। जबकि क्लाउड कंप्यूटिंग के माध्यम से रिमोटली कार्य किया जाता है, जैसे इंटरनेट पर सॉफ्टवेयर का प्रयोग या रिमोटली एप्लीकेशन बनाना।
क्लाउड कंप्यूटिंग के लिए क्लाउड स्टोरेज से ज्यादा प्रोसेसिंग पावर की जरुरत होती है। वहीं क्लाउड स्टोरेज में अधिक स्टोरेज का प्रयोग होता है। क्लाउड कंप्यूटिंग का प्रयोग बिजनेस और रिमोटली कार्य करने में किया जाता है, जबकि क्लाउड स्टोरेज को कोई भी अपनी जरुरत के हिसाब से कर सकता है।
क्लाउड स्टोरेज प्रोवाइड कराने वाली कंपनियां
- Google Cloud.
- Microsoft Azure.
- Amazon Web Services (AWS).
- IBM.
- Intel.
- Apple iCloud.
- Mediafire.
- eFile cabinet.
- Idrive.
- Own cloud.
Computer science ka notes milega kya
Nice article yarrr