माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम ने कंप्यूटर की दुनिया को पूरी तरह बदल दिया। इसके आने से आम लोग भी पीसी का उपयोग करने लगे। किंतु 1985 में जब विंडोज का वर्जन 1.01 जारी किया गया तो यह चार डिस्क में मिलता था इसलिए कोई भी इसका उपयोग नहीं करना चाहता था । एप्पल ने इसके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया की धमकी दी कि विंडोज के मेन्यू बार, प्रोग्राम विंडोज, ड्रॉप डाउन मेन्यू एवं माउस सपोर्ट आदि फीचर्स को उनके मैकिंटोश यूजर्स इंटरफेस से लिया गया है।
तब एप्पल जैसी बड़ी कंपनी के सामने माइक्रोसॉफ्ट कुछ भी नहीं थी किंतु एप्पल की धमकी के जवाब में उसने मैक प्लेटफार्म के लिए आफिस प्रोडक्ट बनाने बंद कर दिए तो एप्पल को घुटने टेकने पड़े और माइक्रोसॉफ्ट के अनिश्चित भविष्य को देखते हुए एप्पल ने उसे विजुअल डेस्कटॉप एलीमेंट्स के उपयोग का लाइसेंस दे दिया जो विंडोज के भावी वर्जन के लिए भी लागू था। किंतु आईबीएम पीसी की सफलता से माइक्रोसॉफ्ट का डॉस ऑपरेटिंग सिस्टम आधारित विंडोज भी सफल रहा।
इसकी कमियों को विशेष 2.0 वर्जन में सुधारा गया। इसका आकार आदि भी बढ़ा। पूरी दुनिया में विंडोज 3 की बिक्री 10 मिलियन तक पहुंच गई। उत्तरोतर विंडोज का हर नया वर्जन पूर्ववर्ती वर्जन से ज्यादा परिष्कृत व नई विशेषताएं लेकर आया। विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का इतिहास :
Table of contents
- विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का इतिहास
- 1985 ई. विंडोज 1.0
- 1987 ई. विंडोज 2.0
- 1990 ई. विंडोज 3.0
- 1993 ई. विंडोज 3.1
- 1994 ई विंडोज एनटी 3.5
- 1995 ई विंडोज 95
- 1997 ई. विंडोज एनटी 4.0
- 1998 ई विंडोज 98
- 2000 ई. विंडोज 2000
- 2000 ई. विंडोज एमई
- 2002 ई. विंडोज एक्सपी
- 2008 ई. विंडोज विस्टा
- 2009 विंडोज 7 में विंडोज टच
- 2010 ई. विंडोज 7
- 2012 विंडोज 8 में ऐप और टाइल्स
- 2012 विंडोज आर टी
- 2013 विंडोज 8.1
- 2015 विंडोज 10
- 2021 विंडोज 11
विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का इतिहास
साल 1985 में माइक्रोसॉफ्ट विंडोज 1.0 के रिलीज़ से लेकर इसके नवीनतम संस्करण विंडोज 11 तक के विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का इतिहास और विकास:
1985 ई. विंडोज 1.0
1985 के उत्तरार्द्ध में जारी किए विंडोज 1.0 ऑपरेटिंग सिस्टम में चार डिस्क का एक पैक था इसलिए यूजर्स ने इसे ज्यादा पसंद नहीं किया । एप्पल की दृष्टि में माइक्रोसॉफ्ट एवं विंडोज का भविष्य अंधकारमय था ।
इसका कोड था ‘इंटरफेस मैनेजर’। इसमें 8MHz सीपीयू, 640 केबी रैम, 1 एमबी हार्डडिस्क थी। साथ ही कुछ नए फीचर्स भी थे। जैसे कि जीपीयू, मल्टीटास्किंग, ड्रॉप डाउन मेन्यू, माउस, 16 कलर्स, पेंट, कैलकुलेटर्स एवं राइट करने की सुविधा । इसे मूलतः डॉस के लिए ग्राफिकल इंटरफेस रूप में डिजाइन किया गया था जो दो वर्षों में तैयार हुआ था किंतु व्यावसायिक तौर पर इसे असफल माना गया।
विंडोज 1.0 को सबसे पहले नवम्बर 1983 में कॉमडैक्स नामक एक कंप्यूटर प्रदर्शनी में दर्शाया गया था। इसमें डॉस के लिए पहली बार ग्राफिकल इंटरफेस को दर्शाया गया था जो फिलहाल फ्रंट एंड पर था और विंडोज 1.0 को रन करने के लिए था। मल्टीटास्किंग क्षमता सीमित थी।
इसमें यूजर पहली बार एक ग्राफिकल यूजर इंटरफेस के साथ साथ दो एप्लीकेशंस चला सकते थे। स्क्रीन पर कई विंडोज देख सकते थे जो एक दूसरे पर ओवरलैप नहीं करती थी। किंतु डायलॉग बॉक्स एवं मेन्यू अवश्य ओवरलैप होते थे।
विंडोज 1.01 को चलाने के लिए एमएस – डॉस 2.0, 256 केबी रैम, दो डबल साइड वाली डिस्क ड्राइव या हार्डड्राइव की जरूरत होती थी।
1987 ई. विंडोज 2.0
9 दिसंबर को माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज का नया वर्जन विंडोज 2.0 लांच किया जिसमें पुराने वर्जन की कमियों को सुधारने का प्रयास किया गया था। कई बदलाव भी हुए थे। इसका कोड ‘286’ था। इसमें 16MHz सीपीयू, । एमबी रैम तथा 5 एमवी की हार्डडिस्क थी जो पिछले वर्जन की तुलना में 4 एमबी ज्यादा थी।
नए फीचर्स के रूप में आइकन्स, ओवरलैपिंग विंडोज, मिनीमाइज एवं मैक्सीमाइज करने की सुविधा तथा पीसी / 2 माउस था। आइकन्स एवं ओवरलैपिंग विंडोज को पहली बार शामिल किया गया था। आइकन्स के विपरीत सभी विंडोज पर क्लोज बटन थे। यह 640×480 के रेजोल्यूशन के साथ वीजीए को सपोर्ट करता था।
वर्ड और एक्सल के पहले विंडोज वर्जन भी इसमें थे। डॉस एप्लीकेशंस के निर्माता अपने प्रोडक्ट्स के साथ साथ विंडोज रनटाइम सॉफ्टवेयर भी नियमित करने लगे जिससे दो ऑपरेटिंग सिस्टम पर चल सके।
1990 ई. विंडोज 3.0
22 मई को विंडोज 3.0 के साथ ही माइक्रोसॉफ्ट का वास्तव में बाजार पर प्रभुत्व बढ़ गया और ग्राफिक्स यूजर इंटरफेस के विषय में मैकिंटोंश और एमिगा इसके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी थे।
विंडोज 3.0 का कोड ‘जेनस’ था। इसमें 33MHz सीपीयू, 8 एमबी रैम तथा 20 एमबी की हार्डडिस्क दी गई थी। इसमें 16 से ज्यादा रंगों की व्यवस्था थी तो साथ ही नेटवर्क सपोर्ट 16 बिट APT एवं वर्चुअल रैम जैसे नए फीचर्स थे।
विंडोज 3.0 का एक बड़ा लाभ था कि इसे विभिन्न प्रकार के पीसी प्रोसेसर्स में प्रयोग किया जा सकता था और इसे 80386, 80286 वं उससे कम के वर्जन्स पर भी चला सकते थे। यहां तक कि 386 पर चलाने पर भी यह अद्भुत गति एवं स्थिरता से काम करता था। इसमें पहली बार रजिस्ट्री को लगाया गया था जिनका काम नाममात्र ही था।
इसमें एमएस-डॉस फाइल मैनेजर/ प्रोग्राम की जगह प्रोग्राम मैनेजर लगाया गया था जिससे फाइलों एवं एप्लीकेशंस को देखने एवं लांच करने की प्रक्रिया सरल हो गई थी। यह सब कुछ नोटपैड नामक टैक्स्ट एडिटर एवं wrik नामक एक सरल वर्ड प्रोसेसर सॉफ्टवेयर के साथ था। इसमें Reversi एवं Solitaire नामक दो गेम्स ओएस में प्री पैक थे।
कुल मिलाकर यह एक विकसित ऑपरेटिंग सिस्टम था जिसमें फाइल मैनेजर, स्वैप फाइल व नेटवर्क सपोर्ट था। 1991 के आसपास साउंड कार्ड्स, ग्राफिक्स कार्ड एवं सीडी रोम ड्राइव को सपोर्ट करने के लिए मल्टीमीडिया एक्सटेंशन जारी किया गया था। माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज 3.0 की लगभग 10 मिलियन कॉपी बेची थी।
1993 ई. विंडोज 3.1
विंडोज का यह नया वर्जन अपनी गति एवं स्थिरता के कारण काफी प्रभावी था। इसमें जारी साउंडकार्ड सपोर्ट एवं मीडिया प्लेयर 2.0 के कारण मल्टीमीडिया युग का आरंभ हुआ। इस वर्जन को कोई कोड नहीं दिया गया था। इसकी रैम एवं सीपीयू तो विंडोज 3.0 जैसे ही थे किंतु हार्डडिस्क को बढ़कर 40एमबी कर दिया गया था।
नए फीचर्स के रूप में True Type फांट्स, ओएलई, साउंडकार्ड सपोर्ट, मीडिया प्लेयर 2.0 मौजूद थे साथ ही इसकी स्थिति एवं कार्यक्षमता भी बढ़ी थी। प्रोग्राम मैनेजर ऑपरेटिंग पहलू के प्रति पूर्णतया सकारात्मक था।
1994 ई विंडोज एनटी 3.5
चूंकि अपने 16 बिट आर्किटेक्चर एवं डॉस पर निर्भरता के कारण विंडोज अब पुराना पड़ने लगा लगा था इसलिए विंडोज एनटी (नई टेक्नोलॉजी) के रूप में माइक्रोसॉफ्ट ने 32 बिट का नया ऑपरेटिंग सिस्टम विकसित किया।
इसकी स्थिरता एवं तीव्रता के कारण यह इंटेल के प्रतिद्वंद्वी DEC यानि (डिजिटल इक्विपमेंट कारपोरेशन) से यूजर्स का ध्यान खींचने में कामयाब रहा। किंतु सर्वर्स एवं वर्कस्टेशन हेतु एक ऑपरेटिंग सिस्टम के रूप में एनटी का यह पहला वर्जन वास्तव में निजी यूजर्स तक नहीं पहुंचा क्योंकि इसके लिए हार्डवेयर संबंधी आवश्यकता भी अधिक होती थी। इस वर्जन में डॉस की बजाए एनटी को आधार बनाया गया था।
विंडोज एनटी अपनी आंतरिक संरचना के कारण ही बाद में विंडोज एक्सपी एवं विस्टा का आधार बना।
‘डेटोना’ नामक कोड वाले इस विंडोज एनटी में सीपीयू बढ़ाकर 66MHz 24केबी रैम तथा 250 एमबी हार्डडिस्क कर दी गई थी। तो दूसरी ओर 32 बिट, एपीआई, मल्टी प्रोसेसर सपोर्ट, एनटीएफएस फाइल सिस्टम, ओपन जीएल आदि तकनीकी विशेषताओं के कारण फाइलों एवं पार्टिशंस तक आसानी पहुंचा जा सकता था।
1995 ई विंडोज 95
विंडोज 95 और ME के बीच NT के समांतर विकसित विंडोज के सभी यूजर वर्जन्स 32 बिट्स के हो चुके थे किंतु सभी में पुराना पड़ चुका डॉस ही आधार बना रहा और इसके साथ साथ स्थिरता की समस्या भी बनी रही। किंतु विंडोज 95 ने बाजार में बहुत ही जल्द ही कब्जा कर लिया। मात्र 4 दिनों में इसकी एक मिलियन कॉपी बिक गई।
विंडोज 95 का कोड नेम ‘शिकागो’ रखा गया था। किंतु इसमें एनटी 3.5 की तुलना में सीपीयू 50MHz रैम 16केबी तथा हार्डडिस्क 200 एमबी कर दी गई। यह वर्जन डॉस पर आधारित था। विंडोज 95 डेस्कटॉप की अन्य विशेषताएं स्टार्ट मेन्यू, टास्कबार, डायरेक्ट X 32 बिट एपीआई, प्लग एंड प्ले तथा विंडोज एक्सप्लोरर था।
पहली बार स्टार्ट मेन्यू एवं टास्कबार को लाया गया था जिसने डेस्कटॉप पर काम करने का एक नया अनुभव दिया। विंडोज एक्सप्लोरर भी नया था जिसमें बाद में इंटरनेट एक्सप्लोरर जोड़ा गया। चूंकि इसे अनइंस्टॉल नहीं कर सकते थे इसलिए इसकी नेटस्केप से कड़ी प्रतिस्पर्धा होने लगी और 32 बिट का यह ऑपरेटिंग सिस्टम घरेलू यूजर्स के लिए हिट रहा।
1997 ई. विंडोज एनटी 4.0
विंडोज एनटी 3.5 और विंडोज 95 के विश्लेषण के उपरांत माइक्रोसॉफ्ट ने 1991 में विंडोज एनटी4.0 वर्जन लांच किया। इसका कोड नेम था ‘कालरो’। इसमें विंडोज की क्षमता को पुन: बढ़ा दिया गया था। सीपीयू 133MHz रैम 32 एमबी तथा हार्डडिस्क 500 एमबी कर दी गई।
तकनीकी विशेषताओं में रजिस्ट्री ज्यादा कर दी गई थी तो ग्राफिक के लिए करनल मोड दिया गया था। साथ ही टीसीपी/आईपी कॉन्टेक्स्ट मेन्यू एवं इंटरनेट एक्सप्लोरर 2 भी शामिल था।
1998 ई विंडोज 98
इस वर्ष जारी विंडोज के नए वर्जन को विंडोज 98 ही कहा गया जिसका कोड ‘मेम्फ्लेस’ था। यद्यपि सीपीयू एवं रैम पिछले वर्जन के समान ही थी किंतु हार्डडिस्क को 300 एमबी कर दिया गया था।
इसकी नई तकनीकी विशेषताओं में सक्रिय डेस्कटॉप आकर्षण का केन्द्र था। साथ ही 32 बिट पीसीआई कार्ड ( कार्ड बेस) स्टैंडर्ड, एसीपीआई (एडवांस्ड कन्फीगुरेशन एंड पावर इंटरफेस), टीवी ट्यूनर बोर्ड / ब्रॉडकास्ट, टेलीविजन तकनीक, डा. वॉटसन, 98SE, यूएसबी, डीवीडी रोम, एमएमएक्स एवं फायरवॉल भी शामिल थे।
यह वर्जन डॉस पर आधारित था और विंडोज 95 का में ज्यादा ही संवर्धित संस्करण था। किंतु उसकी तुलना में सुविधाजनक था। हालांकि ‘प्रूव 2000’ नामक कंपनी ने इसमें एक डेट बग का पता लगाया था जिसे ठीक कर लिया गया था।
2000 ई. विंडोज 2000
वर्ष 2000 के उत्तरार्द्ध में विंडोज 2000 लांच किया गया जिसका कोड नेम था ‘ NTS’ इसमें सभी तकनीकी क्षमताओं में वृद्धि देखने को मिली। सीपीयू 700MHz, 256एमबी रैब तथा 2जीबी हार्डडिस्क कर दी गई। तो साथ ही बढ़ती आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु File Encryption Group Policies, NTFS एवं FAT32 तथा डिवाइस मैनेजर आदि को भी शामिल किया गया था।
2000 ई. विंडोज एमई
वर्ष 2000 की समाप्ति से कुछ पहले ही माइक्रोसॉफ्ट ने आश्चर्यचकित करते हुए विंडोज मी वर्जन लांच किया। इसका कोडनेम ‘जार्जिया’ था। किंतु विंडोज 2000 में बढ़ाई गई क्षमताओं में कमी देखने को मिली। सीपीयू, रैम एवं हार्डडिस्क की क्षमता को कम कर क्रमश: 300MHz, 64एमबी रैम एवं 400 एमबी कर दिया गया था। यह विंडोज वर्जन डॉस पर आधारित था।
किंतु साथ ही कुछ अन्य विशेषताएं शामिल की गईं जैसे कि सिस्टम फाइल प्रोटेक्शन, सिस्टम रिकवरी के जरिए फाइलों एवं सिस्टम को सुरक्षित करने का प्रयास किया गया था। मीडिया प्लेयर 7 एवं मूवी मेकर भी दिए गए थे।
2002 ई. विंडोज एक्सपी
वर्ष 2001 को आरंभ में ही माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज 95 की आपूर्ति बंद करने की घोषणा कर दी। उसने पुराने ओएस को लिगेसी आइटम करार दिया था और उससे हटकर अगले ही वर्ष अक्तूबर में माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज का नया एक्सपी वर्जन जारी किया। सबसे पहले विंडोज एक्सपी प्रोफेशनल और विंडोज एक्सपी होम जारी किए गए।
माइक्रोसॉफ्ट पहली बार आम यूजर्स के लिए ओएस के कई वर्जन बना रहा था। जिससे यूजर्स अपनी आवश्यकतानुसार ही चयन कर सके। इस समय विंडोज एक्सपी विश्वस्तर पर लोकप्रियता हासिल कर चुका था। वास्तव में यह एनटी और 95 सीरिज का मिलजुला रूप था जो आज भी यूजर्स की पसंद है।
विंडोज एक्सपी का कोड नेम ‘विस्लर’ (Whistler) था। इस बार के वर्जन में यूजर्स को 1GHz सीपीयू, 512 एमबी रैम तथा 4 जीबी हार्डडिस्क दिए गए थे। साथ ही प्रोडक्ट एक्टिवेशन, लूना इंटरफेस, फायरवॉल, रिमोट डेस्कटॉप व इंटरनेट एक्सप्लोरर 6 इसकी खास विशेषताएं थीं।
2008 ई. विंडोज विस्टा
वर्ष 2008 के आरंभ में माइक्रोसॉफ्ट ने विस्टा वर्जन जारी किया जो एनटी करनल पर आधारित था। इसका कोडनेम ‘लॉगहार्न’ था। सीपीयू तीन गुना कर 3GHz कर दिया गया था। रैम 2 जीबी तथा हार्डडिस्क दोगुना कर 8 जीबी कर दी गई।
साथ ही 3डी Aero, sidebar, Direct X 10, यूजर अकाउंट, कंट्रोल एवं विंडोज डिफेंडर जैसे नए फीचर्स भी थे। किंतु इसके बावजूद भी वह एक्सपी की भांति लोकप्रियता हासिल न कर सका । परंतु इसके फलस्वरूप सिस्टम को मिली सुरक्षा एवं स्थिरता के कारण यूजर आज भी इसे पसंद करते है। क्योंकि इसकी ट्रांसपेरेंट 3डी विंडोज ने डेस्कटॉप को जीवंत बनाया था। यह विंडोज एक्सपी के आधा दशक बाद जारी किया गया माइक्रोसॉफ्ट का पहला ऑपरेस्टिम सिस्टम था ।
2009 विंडोज 7 में विंडोज टच
लैपटॉप की बढ़ती मांग के बीच वर्ष 2000 के उत्तरार्द्ध में वायरलैस दुनिया के लिए जारी किए पब्लिक वायरलैस हॉटस्पॉट को कनेकट करने के लिए, विंडोज 7 में विंडोज टच जारी किया गया था जिसमें Snap, Peek, Shake जैसे फीचर्स थे तो इंटरफेस ज्यादा आकर्षक था। टचस्क्रीन यूजर्स वेब ब्राउजिंग कर सकते थे। फोटोज के बीच क्लिक कर सकते थे। फाइल्स फोल्डर्स खोल सकते थे।
2010 ई. विंडोज 7
माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज विस्टा के पश्चात विकसित विंडोज वर्जन को ‘विएना’ कोडनेम दिया। इसकी इंस्टॉलेशन प्रक्रिया को पूरी तरह सुधारा गया था। जो प्रक्रिया को 10 मिनट में पूरा करती है और ज्यादा ग्राफिक इंटरफेस का उपयोग करती है।
इसे ज्यादा स्थिरता देने के लिए एक मॉड्यूलर विंडोज करनल (MinWin) विकसित किया गया। नया WinFS फाइल सिस्टम इसका एक भाग था। साथ ही मल्टीटच इंटरफेस दिया गया था। इसके अलावा इंटरनेट एक्सप्लोरर9, मीडिया प्लेयर 12 तथा विंडोज लाइव ऑनलाइन सर्विसेज भी इसके खास फीचर्स थे।
चूंकि बढ़ती आवश्कयताओं के कारण मॉडर्न सिस्टम को मल्टीफंक्शनल होना चाहिए और विस्टा के उपरांत आने वाले वर्जन नेटबुक्स के लिए काफी हल्के एवं सरल होने चाहिए थे। यह वर्जन इन अपेक्षाओं पर खरा उतरा और इसने मल्टी टच जेस्चर को सपोर्ट भी किया।
2012 विंडोज 8 में ऐप और टाइल्स
विंडोज 8 नया इंटरफेस लिए था। इस पर माउस व कीबोर्ड के साथ साथ टच से भी काम किया जा सकता है। यह टैबलेट भी है और पीसी भी। इसमें टास्कबार एवं स्ट्रीमलाइन फाइल मैनेजमेंट कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं। इसकी स्टार्ट स्क्रीन के जरिए लोगो, फाइलों, एप्स, वेबसाइट से सरलता से कनेक्ट हो सकते हैं। विंडोज स्टोर से या ऐप लेने की सुविधा भी है।
2012 विंडोज आर टी
माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज के समय ही विंडोज आर टी लांच किया जो कुछ पीसी और टैबलेट पर चलता है। इसे पतले डिवाइसेज तथा लंबी बैटरी लाइफ के लिए बनाया गया है जो विंडोज स्टोर से लिए एप को भी चलाता है। इसमें ऑफिस का इनबिल्ट वर्जन भी है। विंडोज 8 फाइल सिस्टम को ज्ञात करने एवं उसमें सुधार करने को सुविधाजनक बनाता है।
2013 विंडोज 8.1
यह विंडोज 8 का विकसित रूप प्रस्तुत करता है और एप्स एवं क्लाउड कनेक्टिविटी की सुविधा देता है। इसका विकास मूलतः यूजर्स की प्रतिक्रियात्मक सलाह एवं सुधार परामर्श के आग्रह पर किया गया है। जिसमें कई नए फीचर्स जोड़े गए हैं। जैसे- सभी डिवाइसेस में सिंक करने के लिए स्टार्ट स्क्रीन पर्सनलाजेशन के ज्यादा विकल्प, डेस्कटॉप पर सीधे बूट करने की सुविधा, सर्च के लिए बिंग स्मार्ट सर्च, डेस्कटॉप व स्टार्टस्क्रीन के बीच नेवीगेट के लिए स्टार्ट बटन, एक या सभी स्क्रीन्स पर एक ही बार में कई एप्लीकेशंस देखने के ज्यादा सरल आप्शंस हैं। साथ ही कई नए बिल्ट-इन एप्स भी दिए गए जो विंडोज 8 के भी कई उपयोगी एप्स बेहतर बनाकर उपलब्ध कराए गए हैं।
विंडोज डिवाइस को कॉरपोरेट रिसोसेज से ज्यादा सरलता से जोड़ने के लिए workplace join एवं work folders जैसे फीचर्स भी दिए गए हैं। मल्टी मॉनीटर उपयोग करने वाले पावर यूजर्स अब पीसी से जुड़े हर मॉनीटर पर विंडोज स्टोर से चार एप्स हर स्क्रीन पर पा सकते हैं।
2015 विंडोज 10
विंडोज 10 के जरिए माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज इनसाइडर प्रोग्राम के जरिए यूजर्स को ज्यादा आकर्षक विंडोज प्रदान करने का प्रयास किया। यह ज्यादा तेजी से कंटेंटस शेयर करता हैं यह प्रोग्राम विंडोज 10 को बेहतरीन बनाता है और यूजर्स को सीधी प्रतिक्रिया करने का प्रावधान देता है।
2021 विंडोज 11
5 अक्टूबर, 2021 को माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज के एनटी ऑपरेटिंग सिस्टम की नवीनतम प्रमुख रिलीज विंडोज 11 जारी किया गया था। इसमें सभी विंडोज 10 उपयोगकर्ता मुफ्त में अपग्रेड कर सकते हैं जिनके सिस्टम इसके विशेष सिस्टम आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।