कंप्यूटर इस्तेमाल करने वाले लगभग सभी लोग जानते हैं कि कंप्यूटर में RAM (Random Access Memory) का इस्तेमाल होता है, RAM कंप्यूटर की Primary मेमोरी है जो कंप्यूटर को कार्य स्थान (working space) देने का काम करती है यह 1Gb से लेकर 64GB तक की हो सकती है।
जब कंप्यूटर में बड़े सॉफ्टवेयर प्रोग्राम चलाए जाते हैं, तब Low कैपिसिटी यानि काम क्षमता वाला Ram अपने से बड़े स्टोरेज कैपिसिटी वाले प्रोग्राम को बिना किसी दिक्कत के चला लेता है, उदाहरण के तौर पर 4GB RAM के साथ 6GB वाले सॉफ्टवेयर को चलाना, अब आप सोच रहे होंगे कि यह कैसे संभव है?
यह सब कंप्यूटर में स्थित एक तकनीक के कारण संभव है जिसे वर्चुअल मेमोरी कहां जाता है। वर्चुअल मेमोरी के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, आज इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे कि वर्चुअल मेमोरी क्या है? और यह कैसे काम करता है?
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वर्चुअल मेमोरी क्या है? (What is Virtual Memory in Hindi)
वर्चुअल मेमोरी (Virtual Memory) एक आभासी मेमोरी है, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह कोई फिजिकल मेमोरी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी तकनीक है जो कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम में मौजूद होती है। इस तकनीक के माध्यम से सेकेंडरी मेमोरी को प्राइमरी मेमोरी के रूप में प्रयोग किया जाता है, जो सपोर्टिंग मेमोरी के रूप में कार्य करती है। वर्चुअल मेमोरी कंप्यूटर सिस्टम में मौजूद ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा ऑटोमेटिक मैनेज और ऑपरेट होती है।
वर्चुअल मेमोरी की कार्यप्रणाली को समझने के लिए सबसे पहले आपको RAM के बारे में जानना होगा, क्योंकि RAM वर्चुअल मेमोरी तकनीक में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है।
RAM क्या है और कंप्यूटर में इसका क्या काम है?
RAM का पूरा नाम Random Access Memory हैं, यह कंप्यूटर की प्राइमरी मेमोरी है। जब कंप्यूटर को स्टार्ट किया जाता है तब सबसे पहले ऑपरेटिंग सिस्टम रैम पर जाकर लोड होता है उसके बाद ही कंप्यूटर स्टार्ट होता है। कंप्यूटर चलाते समय सिस्टम को जो भी फाइल की जरूरत होती है, RAM बहुत तेजी से उस फाइल को स्टोरेज से उठाती है और सीधे सिस्टम में भेज देती है इसके अलावा किसी भी प्रोग्राम को जब चालू किया जाता है तब उस प्रोग्राम का डाटा रैम पर जाकर लोड होता है।
कई बार ऐसा होता है कि RAM पूरी तरह से भर जाती है यानी RAM फुल हो जाती है, ऐसे में अगर कोई प्रोग्राम RAM पर लोड होता है तो वह क्रैश हो सकता है या हैंग हो सकता है।
इस समस्या से बचने के लिए कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम में एक तकनीक मौजूद होती है, जिसे वर्चुअल मेमोरी टेक्नोलॉजी कहा जाता है।
वर्चुअल मेमोरी कैसे काम करती है?
वर्चुअल मेमोरी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की मदद से काम करती है, जब कंप्यूटर में एक साथ कई प्रोग्राम का उपयोग किया जाता है तो RAM पर लोड पड़ता है, ऐसे में ऑपरेटिंग सिस्टम वर्चुअल मेमोरी का उपयोग करती है जिससे RAM की क्षमता बढ़ जाती है।
वर्चुअल मेमोरी टेक्नोलॉजी के माध्यम से सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस यानी हार्ड डिस्क और एसएसडी के कुछ मेमोरी रैम की तरह काम करते हैं। कंप्यूटर में स्थापित RAM को वर्चुअल मेमोरी द्वारा ×1.5 गुना तक बढ़ाया जा सकता है, उदाहरण के लिए, यदि कंप्यूटर में 4GB RAM है, तो इसे 6GB तक बढ़ाया जा सकता है। यह सब ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा ऑटोमेटिक ऑपरेट और कंट्रोल होता है।
वर्चुअल मेमोरी की आवश्यकता क्यों है?
मान लीजिए कोई कंप्यूटर है जिसमें 4GB RAM है और उसमें एक साथ कई प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं, ऐसे में RAM फुल हो जाएगी और प्रोग्राम क्रैश हो सकते हैं या ऑपरेटिंग सिस्टम हैंग हो सकता है।
इस समस्या से बचने के लिए वर्चुअल मेमोरी तकनीक बनाई गई, इसे ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रोग्राम के रूप में डाला गया। यह तकनीक हर ऑपरेटिंग सिस्टम में मौजूद है चाहे वह लिनक्स हो, विंडोज हो या मैक।
Features of Virtual Memory
- यह आभासीय मेमोरी प्रदान करता है।
- फिजिकल मेमोरी को कंट्रोल करता है।
- सिस्टम कैश को मैनेज करता है।
- रियल मेमोरी की तरह काम करता है।
वर्चुअल मेमोरी और कैश मेमोरी में अंतर
वर्चुअल मेमोरी | कैश मेमोरी |
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वर्चुअल मेमोरी मेन मैमोरी की कैपेसिटी को इनक्रीस करती है। | कैश मेमोरी सीपीयू के एक्सेसिग स्पीड को बढ़ाती है। |
वर्चुअल मेमोरी फिजिकल मेमोरी नहीं है यह एक तकनीक है। | कैश मेमोरी एक मेमोरी यूनिट है। |
वर्चुअल मेमोरी साइज में बड़ी होती है। | कैश मेमोरी साइज में छोटी होती है। |
ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा वर्चुअल मेमोरी मैनेज होती है। | हार्डवेयर द्वारा कैश मेमोरी मैनेज होती है। |
FAQ
वर्चुअल मेमोरी का आकार एड्रेस लाइन पर निर्भर करता है।