स्मार्टफोन के इस युग में ब्लूटूथ शब्द से हर कोई परिचित होगा। ब्लूटूथ तकनीक 1990 के दशक के आसपास से मौजूद रही है लेकिन इसकी लोकप्रियता पिछले कुछ वर्षों में इसके स्मार्टफोन्स में उब्लब्ध होने के चलते तेजी से बढ़ी है।
स्मार्टफोन्स की वजह से ही हाल ही में हमने इसकी वास्तविक क्षमता को देखना शुरू किया है। वास्तव में, यह अब लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली सबसे लोकप्रिय तकनीकों में से एक है। तो आइये जाने ब्लूटूथ क्या है और यह कैसे काम करता है।
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ब्लूटूथ तकनीक क्या है?
ब्लूटूथ एक वायरलेस पर्सनल एरिया नेटवर्क (WPAN) मानक है जो उपकरणों को तारों के बिना एक दूसरे से साथ संवाद (communicate) करने की अनुमति देती है। इसका मतलब है कि आप आसानी से दो उपकरणों के बीच डेटा स्थानांतरित कर सकते हैं, उन्हें एक दूसरे में प्लग किए बिना।
इसे 1990 के दशक के मध्य में एरिक्सन कंपनी द्वारा विकसित किया गया था। यह मूल रूप से कॉर्डलेस फोन के लिए डिज़ाइन किया गया था, लेकिन अब कई डिवाइस कंप्यूटर, टैबलेट और स्मार्टफोन से कनेक्ट करने के लिए इसका उपयोग होता हैं। इसका इस्तेमाल कारों में भी किया जाता है।
ब्लूटूथ कैसे काम करता है?
ब्लूटूथ एक वायरलेस संचार मानक है जिसे मूल रूप से एरिक्सन कंपनी द्वारा वायर्ड कनेक्शन के प्रतिस्थापन (replacement) के रूप में विकसित की गई थी। हालांकि, यह जल्द ही स्पष्ट हो गया कि वायरलेस कनेक्शन वायर्ड कनेक्शन की तुलना में अधिक विश्वसनीय थे। वास्तव में, यह पाया गया कि ब्लूटूथ वाले उपकरणों में औसत कनेक्शन विफलता दर 1% से भी कम थी।
यह उपकरणों को छोटी दूरी पर कनेक्ट करने की सुविधा देता है। ब्लूटूथ दो उपकरणों के बीच डेटा संचारित करने के लिए रेडियो तरंगों का उपयोग करता है। क्योंकि ये संकेत हवा के माध्यम से यात्रा करते हैं, वे दीवारों या बाधाओं से प्रभावित नहीं होते हैं।
ब्लूटूथ 2.4 GHz गीगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंसी बैंड पर संचालित होता है और 1 एमबीपीएस तक की गति से डेटा प्रसारित करता है। हॉलाकि इसके नए संस्करण में 3 एमबीपीएस तक डाटा प्रसारित होते है।
ये 30 फीट तक की दूरी पर जानकारी भेज सकता है। इसका मतलब है कि उन्हें एक साथ जोड़ने के लिए तारों या केबलों की कोई आवश्यकता नहीं होती। इसके बजाय, उन्हें बस एक-दूसरे के करीब होने की आवश्यकता होती है ताकि रेडियो तरंगें हवा से गुजर सकें।
Bluetooth Technology के संस्करण
ब्लूटूथ तकनीक में समय के साथ साथ कई विकास हुए है जिसके आधार पर अब ब्लूटूथ के मुख्य 5 संस्करण (Versions) है।
Bluetooth 1.0
इस संकरण को साल 1999 में जारी किया गया था इसकी अधिकतम डाटा ट्रांसफर स्पीड 0.7 Mbps तक होती है। जो की 10m (33 ft) दुरी तक कार्य कर सकती है।
Bluetooth 2.0
Bluetooth 2.0 को साल 2004 में जारी किया गया था। ये अधिकतम दुरी 30m (100 ft) और 3 Mbps तक सपोर्ट करते है। इसमें Enhanced Data Rate (EDR) और Secure Simple Pairing (BT 2.1) फीचर जोड़े थे।
Bluetooth 3.0
ये भी ब्लूटूथ 2.0 की तरह ही 30m (100 ft) तक की दुरी में डाटा संचार कर सकते है और 3 Mbps तक की स्पीड ट्रांसफर करने में सक्षम होते है। इसे 2009 में जारी किया गया था। Bluetooth 3.0 में High Speed (HS), L2CAP Enhanced Modes और Enhanced Power Control शामिल किये गए थे।
Bluetooth 4.0
Bluetooth 4.0 को 2013 में जारी किया गया था। इसमें डाटा ट्रांसफर करने की गति 3 Mbps तक होती है और ये 60m (200 ft) डाटा संचार कर सकते है। ये Low Energy (BLE), Core Specification Addenda 1-4 (BT 4.1) और IoT features (BT 4.2) का समर्थन करते है।
Bluetooth 5.0
Bluetooth 5.0 सबसे आधुनिक संस्करण है जिसे 2017 जारी किया गया था। जो अब तक सबसे लम्बे रेंज वाली ब्लूटूथ संकरण है। ये 240m (800 ft) तक 3 Mbps की गति से डाटा संचार करने में सक्षम है। इसमें सबसे आधुनिक Slot Available Masking (SAM), LE Long Range, Core Specification Addenda 6 (BT 5.1) और LE Audio (BT 5.2) जैसी सुविधाएँ होती है।
ब्लूटूथ का इतिहास
ब्लूटूथ तकनीक के प्रमुख डिजाइन और विकास की शुरुवात साल 1994 में एरिक्सन कंपनी के मोबाइल फोन डिवीजन के डच इंजीनियर जाप हार्टसेन ने किया था। प्रोडक्ट्स में ब्लूटूथ तकनीक के ट्रेडमार्क्स की देखरेख के लिए 1998 ब्लूटूथ SIG ग्रुप की स्थापना की गई।
1998 में ब्लूटूथ SIG की स्थापना के समय इसके सदस्य कंपनियों में केवल एरिक्सन, आईबीएम, इंटेल, माइक्रोसॉफ्ट, नोकिया, फिलिप्स, सोनी, तोशिबा कंपनी शामिल थे। इन कंपनियों ने ही मिलकर शुरुवात में ब्लूटूथ को विकसित किया। इस तकनीक के तेजी से लोकप्रिय होने के चलते इसमें सदस्य कंपनियां जुड़ते गए। अब इसमें 30,000 से भी अधिक सदस्य कंपनियां शामिल है।
ब्लूटूथ को साल 1999 के मई महीने में आधिकारिक रूप से सार्वजनिक घोषित किया गया। इसके बाद जुलाई 1999 में ब्लूटूथ 1.0 और इसके (specifications) विवरण को जारी किया गया। साल 1999 में ही कंपनी ने ब्लूटूथ तकनीक पर आधारित पहला ब्लूटूथ कमर्शियल उत्पाद वायरलेस वॉयस हेडसेट लांच किया।
इसके 2 सालों बाद 2001 में ब्लूटूथ आधारित कार किट और पहला ब्लूटूथ फीचर वाला स्मार्टफोन Sony Ericsson T36 आया। तब से, ब्लूटूथ तकनीक तेजी से लोकप्रिय हो गई है, खासकर कंस्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में।
Bluetooth Special Interest Group क्या है?
Bluetooth Special Interest Group (Bluetooth SIG) एक संस्था है जो ब्लूटूथ मानकों के विकास और उत्पादों में ब्लूटूथ तकनीक के प्रयोग के लिए लाइसेंस व ट्रेडमार्क जारी करता है। SIG एक गैर-स्टॉक निगम और एक गैर-लाभकारी संथा है जिसकी स्थापना साल 1998 में की गई थी।
ब्लूटूथ और इंफ्रारेड में अंतर
आईआर तकनीक को दो उपकरणों के बीच दृष्टि की रेखा की आवश्यकता होती है, इसलिए यह मोबाइल फोन के साथ उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं है। ब्लूटूथ तकनीक दो उपकरणों को सीधे संपर्क की आवश्यकता के बिना संवाद करने की अनुमति देती है। इसलिए ब्लूटूथ, इन्फ्रारेड (आईआर) तकनीक का बेहतर विकल्प के रूप है।
ब्लूटूथ के उपयोग और लाभ
इसका उपयोग मोबाइल फोन से लेकर कारों से लेकर चिकित्सा उपकरणों तक हर चीज में किया जाता है। ब्लूटूथ तकनीक मोबाइल फोन, लैपटॉप, टैबलेट, प्रिंटर, कैमरा, हेडसेट, स्पीकर, फिटनेस ट्रैकर्स जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को एक दूसरे के साथ वायरलेस तरीके से कनेक्ट करने की सुविधा देती है।
ब्लूटूथ सुरक्षा
ब्लूटूथ ब्लूटूथ-सुविधा वाले उपकरणों के बीच कम दूरी पर डेटा का आदान-प्रदान करने के लिए बेहतर विकल्प है, लेकिन ब्लूटूथ का उपयोग करते समय अभी भी कुछ सुरक्षा चिंताएं होती हैं।
FAQ
ब्लूटूथ का काम वायरलेस संचार करना होता है। जिसका उपयोग स्मार्टफोन, लैपटॉप, केबोर्ड जैसे उपकरणों में होता है। इससे उपयोग डाटा ट्रांसफर करने के अलावा उपकरणों को आपस में जोड़ने के लिए भी किया जाता
ब्लूटूथ वर्शन के आधार पर मुख्यतः 5 प्रकार के होते है – ब्लूटूथ 1.0, 2.0, 3.0, 4.0 और 5.0. जो की वर्शन के आधार पर इनकी स्पीड और दुरी आधारित होती है।
ब्लूटूथ के कुछ सामान्य उदाहरण है – वायरलेस हेडसेट, कीबोर्ड, माउस, स्मार्टफोन, इत्यादि।
ब्लूटूथ के जानक डच इंजीनियर “जाप हार्टसेन” को कहा जाता है। इन्होने ने ही एरिक्सन कंपनी के लिए ब्लूटूथ तकनीक के सिद्धांत, विकास और डिज़ाइन तैयार किया था।
एक सामान्य ब्लूटूथ उपकरण की फ्रीक्वेंसी 2.4 GHz होती है। जो की लगभग 30 फ़ीट तक के दुरी में संचार कर सकती है।
10वीं सदी के डेनमार्क के किंग King Harald Bluetooth के नाम पर ब्लूटूथ का नाम रखा गया है. जो की स्कैंडिनेविया राज्य को मजबूत बनाने और जोड़ने के लिए जाने जाते थे। स्कैंडिनेविया राज्य के अलावा उन्होंने कई राज्यों को आपस में जोड़ा था।
ब्लूटूथ तकनीक लगभग 30 फ़ीट या 1 से 5 मीटर तक की दुरी में संचार कर सकते है।
एक शोध में पाया गया है ब्लूटूथ के हैडफ़ोन या ईरफ़ोन के अत्यधिक प्रयोग से कैंसर होने के खतरे बढ़ जाते है।
एक ब्लूटूथ डिवाइस कम दूरी तक डाटा संचार कर सकते है जबकि वाई-फाई इससे बहुत अधिक दुरी तक डाटा ट्रांसफर कर सकते है।
किसी भी ब्लूटूथ उपकरण का उपयोग करने के लिए इंटरनेट कनेक्शन की आवश्यकता नहीं पड़ती।
ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जिनमे ब्लूटूथ कनेक्टिविटी की सुविधा होती है उन्हें ब्लूटूथ डिवाइस कहते है।