लिनक्स एक ओपन-सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसने अपनी विशेषताओं और सुरक्षा सुविधाओं के कारण अत्यधिक लोकप्रियता हासिल की है। इस लेख में, जानेंगे कि लिनक्स क्या है, इसका इतिहास और यह कैसे काम करता है। हम विभिन्न उद्योगों में Linux और इसके अनुप्रयोगों का उपयोग करने के कुछ फायदों को भी जानेंगे।
Table of contents
लिनक्स क्या है? (What is Linux)
लिनक्स एक मुफ्त और ओपन-सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है जो यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम पर आधारित है। अर्थात यह यूनिक्स का ही दूसरा रूप है। Linux को पहली बार 1991 में फिनिश कंप्यूटर विज्ञान के छात्र लिनस टोरवाल्ड्स द्वारा बनाया गया था। लिनक्स sharing और collaboration के विचार पर बनाया गया है, जहां उपयोगकर्ता ऑपरेटिंग सिस्टम के विकास और सुधार में योगदान कर सकते हैं।
इसके विकास में दुनिया के सभी क्षेत्रों के लोगों ने योगदान दिया है। लिनक्स में इंटरनेट से सम्बन्धित प्रायः सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का पूरा सोर्स कोड इंटरनेट पर उपलब्ध है और कोई भी व्यक्ति उसमें सुधार भी कर सकता है। लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में चलने वाले प्रायः सभी प्रकार के सॉफ्टवेयर भी आजकल सरलता से उपलब्ध हैं; जैसे—वर्ड प्रोसेसर, स्प्रैडशीट, प्रजेण्टेशन, डेस्कटॉप पब्लिशिंग, इमेज प्रोसेसिंग, ड्रॉइंग आदि।
लिनक्स का इतिहास
सन् 1968 में जनरल इलेक्ट्रिक (GE), एटी एण्ड टी (AT&T), बेल प्रयोगशाला और कुछ शोधकर्ताओं ने संयुक्त रूप से एक ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास किया। इसका नाम मल्टिक्स (MULTICS : Multiplexed Information Computing System) रखा गया।
बाद में सन् 1969 में केन थॉमसन (Ken Thompson) और डेनिस रिची (Dennis Ritchie) ने एटी एण्ड टी (AT&T) प्रयोगशाला के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर इसी में से यूनिक्स (UNIX) ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास किया, जिसमें मल्टिक्स के बहुत से गुणों को शामिल किया गया था।
यूनिक्स में कई वर्षों तक विकास होता रहा। यह निजी उत्पाद से बदलकर सार्वजनिक उत्पाद बन गया। इसी क्रम में माइक्रोसॉफ्ट ने यूनिक्स का एक पीसी संस्करण (PC Version) भी निकाला, जिसका नाम उन्होंने जेनिक्स (Zenix) रखा।
लिनक्स वास्तव में यूनिक्स का ही प्रतिरूप है, जो स्वतन्त्र रूप से विकसित किया गया है। इसकी शुरूआत लाइनस टॉरवैल्ड (Linus Torvald) नामक विद्यार्थी ने हेलसिंकी विश्वविद्यालय में एक प्रोजेक्ट के रूप में की थी। वह प्रारम्भ में यूनिक्स के एक लघु संस्करण मिनिक्स (Minix) का उपयोग विद्यार्थियों को सिखाने में किया करता था।
इस ऑपरेटिंग सिस्टम की विशेषताओं से प्रभावित होकर उन्होंने इसका एक अलग संस्करण निकालने और उसे सबको मुफ्त बाँटने का निश्चय किया। इसी से लिनक्स का विकास हुआ। इसमें यूनिक्स ही नहीं अन्य सभी ऑपरेटिंग सिस्टमों की अधिकांश विशेषताएँ सम्मिलित हैं। उसने इसका पहला संस्करण 0.11 सन् 1991 में रिलीज किया। उसने इस संस्करण को इंटरनेट के माध्यम से लोगों में बाँटा। आजकल अनेक कम्पनियाँ लिनक्स को विभिन्न नामों से वितरित कर रही हैं। इनमें रेड हट सबसे अधिक प्रचलित और लोकप्रिय है।
लिनक्स कैसे काम करता है
यूनिक्स की तरह लिनक्स में भी तीन मुख्य भाग होते हैं कर्नेल (Kernel), Environment और फाइल संरचना (File Structure) :
कर्नेल लिनक्स का मुख्य (Core) भाग होता है, जो अन्य प्रोग्रामों को चलाता (Run करता) है और कम्प्यूटर के सभी हार्डवेयर जैसे-डिस्क एवं प्रिंटर आदि को व्यवस्थित करता है।
फाइल संरचना फाइलों को स्टोर करने का कार्य करती है। यह फाइलों को किसी स्टोरेज मीडिया में स्टोर करती है। फाइलों को किसी डायरेक्टरी में ही रखा जाता है। डायरेक्टरी के अन्दर सब-डायरेक्टरियाँ भी हो सकती हैं, जो फाइलों को अपने अन्दर रखती हैं। कर्नेल, वातावरण और फाइल संरचना ये तीनों मिलकर लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम की बुनियादी संरचना बनाते हैं। इन तीनों की सहायता से प्रोग्राम चलाए जाते हैं, डाटा को व्यवस्थित रखा जाता है एवं सिस्टम के साथ संवाद स्थापित किया जाता है।
Environment उपयोगकर्ता और कर्नेल के मध्य एक इंटरफेस उपलब्ध कराता है। यह इंटरफेस उपयोगकर्ता द्वारा दिए गए निर्देशों को ग्रहण करता है और कर्नेल को भेज देता है। Linux में कई प्रकार के वातावरण उपलब्ध हैं जैसे डेस्कटॉप, विण्डो मैनेजर और कमाण्ड लाइन शैल्स । लिनक्स सिस्टम में प्रत्येक उपयोगकर्ता का अपना इण्टरफेस होता है, जो वह अपनी आवश्यकतानुसार चुन सकता है।
कमाण्ड लाइन इंटरफेस (CLI)
कमाण्ड लाइन इंटरफेस में कार्य करना सरल है। इसमें एक प्रॉम्प्ट (Prompt) होता है, जिस पर आदेश टाइप किया जाता है और उसे टाइप करने के बाद एण्टर (Enter) दबाना पड़ता है। जिस लाइन पर आदेश टाइप करते हैं वह कमाण्ड लाइन (Command Line) कहलाती है।
यह इण्टरफेस प्रायः तीन शैलों (Shells) पर आधारित होता है, जिनके नाम बोर्न (Bourne), कोर्न (Korn) और सी शैल (C Shell) हैं। लिनक्स में इन तीनों पर कार्य करने की सुविधा उपलब्ध है।
ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI)
कमाण्ड लाइन इंटरफेस के विकल्प के रूप में लिनक्स में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस की सुविधा भी उपलब्ध है। यानी लिनक्स भी विण्डोज की तरह ग्राफिकल यूजर इण्टरफेस (GUI) पर कार्य करता है। इसकी विण्डोज को x- विण्डोज कहा जाता है।
विण्डोज की तरह इसमें भी डेस्कटॉप, आइकॉन, मेन्यू, फ्रेम आदि समस्त सुविधाएँ होती हैं। वैसे आवश्यक होने पर इसमें डॉस (DOS) की तरह कमाण्ड लाइन इंटरफेस (CLI) में भी कार्य किया जा सकता है।
लिनक्स के स्ट्रक्चर (Structure of Linux)
लिनक्स एक मल्टी प्रोग्रामिंग, मल्टी यूजर, मल्टी टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम है। इसका प्रयोग यूजर अपने स्टैण्ड अलोन कम्प्यूटर से लेकर बड़े कॉरपोरेट नेटवर्क पर कर सकते हैं। लिनक्स , विण्डोज की तरह यूजर को ग्राफिकल यूजर इन्टरफेस के साथ-साथ कमाण्ड लाइन इन्टरफेस भी प्रदान करता है।
Linux का सोर्स कोड मुक्त है। फलस्वरूप इसमें यूजर अपने अनुसार संशोधन कर अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप इस ऑपरेटिंग सिस्टम के विपरीत लिनक्स निःशुल्क है अर्थात् इसके कोड को कोई भी डाउनलोड कर सकता है तथा उसमें संशोधन कर सकता है।
लिनक्स का स्ट्रक्चर लेयर में बँटा रहता है। इसमें सबसे आन्तरिक सतह हार्डवेयर होती है। इसमें कम्प्यूटर सिस्टम की सभी पेरीफेरेल डिवाइस आती है। दूसरी सतह में कर्नल होता है यह Linux ऑपरेटिंग का मुख्य भाग होता है। यह हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर कम्पोनेन्ट्स के मध्य संवाद स्थापित करता है।
कर्नल लिनक्स का दिमाग होता है जो इसके सभी low level फंक्शन तथा सिस्टम हार्डवेयर को कण्ट्रोल करता है। यह लिनक्स का वह पार्ट है जो हार्डवेयर के सबसे करीब होता है यह यूजर से direct interact करता है लेकिन यूजर इसमें से सीधे interact नहीं कर सकते उसे mediator की जरूरत होती है जो कि शेल (shell) होता है।
कर्नल के निम्न कार्य होते हैं-
(1) मेमोरी मैनेजमेंट– कम्प्यूटर मेमोरी को व्यवस्थित करने की क्रिया मेमोरी मैनेजमेंट कहलाती है। मेमोरी मैनेजमेंट में request के अनुसार प्रोग्राम को मेमोरी स्थान आबंटित किया जाता है तथा जब उनकी आवश्यकता समाप्त हो जाती है तब उस स्थान को मुक्त कर दिया जाता है।
कर्नल सिस्टम के मेमोरी में पूरा एक्सेस होता है तथा यूजर के प्रोग्रामों को मेमोरी सुरक्षित ढंग से एक्सेस करने हेतु एक विधि प्रदान करता है। इस प्रोसेस में पहला कार्य वर्चुअल अड्रेसिंग होता है जो सामान्यतः पेजिंग अथवा सेगमिन्टेशन के द्वारा प्राप्त किया जाता है।
वर्चुअल अड्रेसिंग के माध्यम से कर्नल किये गये फिजीकल अड्रेस को वर्चुअल अड्रेस की तरह प्रकट करता है। इसकी सहायता से प्रत्येक प्रोग्राम यह समझाता है कि केवल वही क्रियान्वित हो रहा है तथा इस प्रकार एप्लीकेशन के एक-दूसरे के साथ टकराव को रोकता है।
(2) प्रोसेस मैनेजमेंट – ऑपरेटिंग सिस्टम का मुख्य कार्य एप्लीकेशन का क्रियान्वयन होने देना तथा उन्हें हार्डवेयर एब्सट्रेक्शन फीचर के साथ सपोर्ट करना होता है। कर्नल किसी एप्लीकेशन को execute करने के लिए एप्लीकेशन के उस फाइल को मेमोरी में लोड करता है, जिसमें उससे सम्बन्धित कोड होता है तथा साथ ही प्रोग्राम के लिए स्टैक स्थापित करता है ।
मल्टीटास्किंग कर्नेल यह धारणा देने में सक्षम होते हैं कि कम्प्यूटर पर साथ-साथ चलने वाले प्रोसेस की संख्या कम्प्यूटर द्वारा भौतिक रूप से प्रोसेस क्रियान्वयन की अधिकतम संख्या से ज्यादा होती है। सामान्यतः एक साधारण प्रोसेसर कम्प्यूटर एक समय में एक कार्य को चलाता है तथा एक dual processor एक साथ दो कार्य को कर सकता है।
(3) डिवाइस मैनेजमेंट-ऑपरेटिंग सिस्टम को कोई भी कार्य करने के लिए हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर के साथ सामंजस्य बनाना होता है। जब ऑपरेटिंग सिस्टम कोई कार्य करता है तब उसको कम्प्यूटर से जुड़े डिवाइसों को एक्सेस करना होता हैं ये डिवाइस उन उपकरण निर्माताओं द्वारा दिये गये ड्राइवर के द्वारा नियंत्रित किये जाते हैं।
डिवाइस मैनेजमेंट बिल्कुल ऑपरेटिंग सिस्टम पर निर्भर होता है परन्तु किसी भी स्थिति में, कर्नल को ही इनपुट / आउटपुट डिवाइस और उसके ड्राइवर को भौतिक रूप से एक्सेस प्रदान करना होता है ।
(i) Home Directory – यह डायरेक्टरी प्रत्येक यूजर को इसलिए मिलती है कि वह इसके अन्दर अपना कार्य करे और अपने कार्य से सम्बन्धित फाइलों को संग्रहित कर ले। हम अपनी फाइलों को मनचाहे ढंग से संचालन करने के अतिरिक्त उन फाइलों पर दूसरे के लिए विशेष प्रतिबन्ध भी लगा सकते हैं। लिनक्स की मुख्य डायरेक्टरी, जैसा कि हम जानते हैं, एक ही होती है। इसको सामान्यतः /root के नाम से जानते हैं।
(ii) Shell एवं Graphical Interface – लिनक्स दो प्रकार का इन्टरफेस प्रदान करता है। नॉन-ग्राफिकल यूजर इन्टरफेस या कमाण्ड लाइन इन्टरफेस ग्राफिकल यूजर इन्टरफेस। नॉन-ग्राफिकल यूजर इन्टरफेस डॉस प्रॉम्ट की तरह होता है।
इस इन्टरफेस को युनिक्स एवं लिनक्स में shell कहते हैं। लिनक्स में कई तरह के shell प्रयोग में लाये जाते हैं, जिनमें shell bash (Bourne Again Shell) प्रमुख हैं। इन डेस्कटॉप में GNONE व KDE प्रमुख है। हम डेस्कटॉप को मनचाहे ढंग से कस्टमाइज भी कर सकते हैं।
(iii) Shell Interface – शेल इन्टरफेस पर हम आये हैं या नहीं यह बात स्क्रीन पर $ या ## symbol decide करता है। यदि हर स्क्रीन पर symbol को देख रहे हैं तो इसका अर्थ यह हुआ कि हम शेल पर कार्य कर रहे हैं।
लिनक्स में फाइल संरचना (File Structure in Linux)
एक डिस्क में हजारों फाइलें हो सकती हैं। कई फाइलों को संगठित करके एक फाइल सिस्टम बनाया जा सकता है। लिनक्स में फाइल सिस्टम की एक हायरर्किकल (hierarchical) संरचना होती है। जिसमें फाइलों को डायरेक्टरीज में स्थित कर दिया जाता है।
डिस्क पर ये सारी फाइलें एक रूट डायरेक्टरी में स्थित होती हैं। रूट डायरेक्टरी को इन उप-डायरेक्टरी में विभाजित कर सकते हैं bin, boot, home, usr, etc तथा dev. इन सभी सब-डायरेक्टरी में विभिन्न डाटा से सम्बन्धित अलग-अलग फाइलें होती हैं। इस फाइल सिस्टम हायरर्कि (hiearchy) में एक फाइल को पाथनेम से जानते हैं जिसे फाइल का नाम पाथ का नाम तथा डायरेक्टरी लिखकर उपयोग में ला सकते हैं।
- /bin डायरेक्टरी-इसमें लिनक्स की कई यूटिलिटिज स्टोर कर सकते हैं। यूटिलिटीज के लिनक्स कमांड हैं, जो कि Linux सिस्टम में उपस्थित होती हैं और बाइनरी फॉर्मेट में होती हैं। इसलिए इसे bin डायरेक्टरी से जाना जाता है।
- / dev डायरेक्टरी-इसमें अधिकांशतः डिवाइसों से सम्बन्धित फाइलें होती हैं।
- /etc डायरेक्टरी-इस डायरेक्टरी में सिस्टम में सम्बन्धित फाइलें होती हैं जिनकी यूजर और सिस्टम को आवश्यकता होती है। इनमें अधिकांशतः सिस्टम, प्रोग्राम और कान्फिग्यूरेशन फाइलें होती हैं।
- /lib डायरेक्टरी-इस डायरेक्टरी में कम्पाइलर के लिए इन्स्टाल किये गये डाटा की लाइब्रेरी रखी जाती है।
- /home डायरेक्टरी– इसमें अधिकांशतः+ यूजर की होम डायरेक्टरी होती है।
- /usr डायरेक्टरी– इसमें ऑपरेटिंग सिस्टम की फाइलें स्टोर होती हैं जो कि बूट प्रोसेस में संलग्न नहीं होती हैं।
लिनक्स की विशेषताएँ (Features of Linux)
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम में अनेक विशेषताएँ हैं, जिनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं
- यह एक मल्टी-यूजर (Multi-user) ऑपरेटिंग सिस्टम है। इसमें किसी भी समय एक से अधिक उपयोगकर्ता स्वतन्त्र रूप से कार्य कर सकते हैं और अपने-अपने प्रोग्राम चला सकते हैं।
- लिनक्स फाइलों को सुरक्षा भी प्रदान करता है। यह अपने से जुड़े प्रत्येक उपयोगकर्ता को एक अलग फाइल सेट व डायरेक्टरी से जोड़ देता है। इस प्रकार कोई उपयोगकर्ता केवल अपनी डायरेक्टरी में उपलब्ध सूचनाओं को ही पढ़ सकता है, हटा सकता है, सुधार सकता है और जोड़ सकता है। इसका लाभ यह होता है कि जो अन्य उपयोगकर्ता हैं, उनकी फाइलों में कोई बदलाव नहीं हो सकता।
- लिनक्स एक मल्टी प्रोग्रामिंग (Multi-programming) ऑपरेटिंग सिस्टम भी है। यह विभिन्न उपयोगकर्ताओं के कई प्रोग्रामों को एक साथ पालित कर सकता है। लिनक्स में मल्टी प्रोग्रामिंग सुविधा टाइम शेयरिंग (Time sharing) द्वारा उपलब्ध कराई गई है।
- लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रमुख भाग ‘कर्नेल’ (Kernel) होता है जो एप्लीकेशन क्रैशों से पूरी तरह सुरक्षित (Crash Proof) है। एप्लीकेशन क्रैश हो जाने के बाद भी कर्नेल कार्य करता रहता है। इसका लाभ यह होता है कि लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम को दुबारा चालू नहीं करना पड़ता।
- लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम वायरसों के आक्रमणों से पूरी तरह सुरक्षित है, क्योंकि सामान्य उपयोगकर्ता इसके मुख्य भाग ‘कर्नेल’ तक नहीं पहुँच सकता।
- लिनक्स भी विण्डोज की तरह ग्राफिकल यूजर इण्टरफेस (GUI) पर कार्य करता है। इसकी विण्डोज को x- विण्डोज कहा जाता है। विण्डोज की तरह इसमें भी डेस्कटॉप, आइकॉन, मेन्यू, फ्रेम आदि समस्त सुविधाएँ होती हैं। वैसे आवश्यक होने पर इसमें डॉस (DOS) की तरह कमाण्ड लाइन इण्टरफेस (CLI) में भी कार्य किया जा सकता है।
- लिनक्स में डॉस आधारित प्रोग्रामों को भी चलाया जा सकता है। इसके लिए डॉस इम्यूलेटर (DOS Emulator) या DOSEMV नामक प्रोग्राम का उपयोग किया जाता है।
- लिनक्स में अपाचे (Apache) नाम का एक वेब सर्वर प्रोग्राम भी उपलब्ध है, जिसमें वेब पेजों को तैयार तथा व्यवस्थित किया जाता है। यह आजकल सबसे अधिक लोकप्रिय वेब सर्वर है।
- लिनक्स में इसके अतिरिक्त बहुत से उपयोगी प्रोग्राम और मुफ्त सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध हैं, जैसे स्स्ट एडीटर, वेब ब्राउजर, वैज्ञानिक उपयोगों के सॉफ्टवेयर आदि।
- लिनक्स कई प्रकार की मशीनों पर स्थापित किया जा सकता है और उसके सॉफ्टवेयर को फिर से कॉनफिगर करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
लिनक्स के लाभ (Advantages of Linux OS)
लिनक्स के गुण व विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) Linux is network friendly – निश्चित रूप से! “लिनक्स नेटवर्क फ्रेंडली है” इसका मतलब है कि लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम को कंप्यूटर नेटवर्क के साथ अच्छी तरह से काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
इसमें नेटवर्क प्रोटोकॉल और प्रौद्योगिकियों के लिए पहले से समर्थन होता है, जिससे अन्य उपकरणों से कनेक्ट करना और उनके बीच डेटा स्थानांतरित करना आसान हो जाता है। जो लिनक्स को सर्वर, राउटर और अन्य नेटवर्क उपकरणों के लिए एक लोकप्रिय विकल्प बनाता है। इसके अतिरिक्त, लिनक्स stable और secure होने की वजह से भी जाना जाता है, जो इंटरनेट या अन्य नेटवर्क से जुड़े हुए किसी भी सिस्टम के लिए महत्वपूर्ण है।
(2) लिनक्स मल्टी यूजर है (Linux is multiuser) – लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम को एक ही समय में कई उपयोगकर्ता उपयोग कर सकते है। यह विंडोज जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम से अलग है, जो आमतौर पर एक समय में एक उपयोगकर्ता द्वारा उपयोग के लिए होते हैं।
लिनक्स जैसे मल्टीयूजर सिस्टम में, प्रत्येक उपयोगकर्ता का अपना उपयोगकर्ता आईडी होता है। जब वे सिस्टम में लॉग इन करते हैं, तो वे अपनी फ़ाइलों, सेटिंग्स और कार्यक्रमों तक पहुंच सकते हैं। यह कई लोगों को एक दूसरे के काम में हस्तक्षेप किए बिना एक ही कंप्यूटर या सर्वर का उपयोग करने की सुविधा देता है।
मल्टीयूज़र सपोर्ट लिनक्स की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से है, खासकर enterprise और server environments में जहां कई लोगों को एक ही समय में एक ही सिस्टम का उपयोग करने की आवश्यकता हो सकती है। यह सुरक्षा में भी कारगर है, क्योकि इसमें प्रत्येक यूजर के फाइल्स और सेटिंग्स सिस्टम पर अन्य उपयोगकर्ताओं से सुरक्षित होते है।
(3) लिनक्स ओपन है (Linux is open) – लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर पर आधारित है, अर्थात इसका स्रोत कोड किसी को भी देखने, संशोधित करने और डिस्ट्रीब्यूशन करने के लिए स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है। क्योंकि लिनक्स ओपन-सोर्स है, कोई भी स्रोत कोड डाउनलोड कर सकता है और इसे अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप संशोधित कर सकता है।
(4) लिनक्स मुक्त है (Linux is free) – लिनक्स को मुफ्त में डाउनलोड करके उपयोग और वितरित किया जा सकता है। यह विंडोज या मैकओएस जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम से अलग है, जिसके लिए उपयोगकर्ताओं को लाइसेंस के लिए भुगतान करने की आवश्यकता होती है। यानी लिनक्स बिलकुल मुफ्त है।
लिनक्स के कई अलग-अलग संस्करण हैं, जिन्हें distribution कहा जाता है। इन distributions में आमतौर पर लिनक्स कर्नेल शामिल होते हैं, साथ ही साथ कई अन्य ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर एप्लिकेशन और टूल भी शामिल होते हैं।
(5) लिनक्स बैकवर्ड्स संगत है (Linux is backward compatible) – लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह पुराने हार्डवेयर को भी ठीक से सपोर्ट करता है।
लिनक्स के नुकसान (Disadvantages of Linux)
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम की बहुत-सी विशेषताएँ होने के साथ-साथ इसकी कुछ कमियाँ भी हैं :
- इसे ऑपरेट करना बहुत कठिन है। इसमें सभी आदेशों को उनके व्याकरण (Syntax) सहित याद रखना पड़ता है।
- इसके अलावा इसकी विशेषता स्थायित्व ही इसकी कमी भी है। इसमें कोई सॉफ्टवेयर स्थापित करना या उसे हटाना भी बहुत कठिन है।
- लिनक्स में नया हार्डवेयर जोड़ना भी अत्यन्त कठिन है, क्योंकि विण्डो में हार्डवेयर के अधिकांश ड्राइवर उपलब्ध हैं, किन्तु लिनक्स के साथ ऐसा नहीं है। इसमें नया हार्डवेयर जोड़ने के लिए उसके लिए ड्राइवर हार्डवेयर निर्माता को ही तैयार करना पड़ता है।
- लिनक्स के लिए उपलब्ध विभिन्न सॉफ्टवेयरों की जानकारी सामान्य उपयोगकर्ता को न होने के कारण अभी इसका प्रयोग सीमित है, जबकि विण्डोज में ढेरों पैकेज उपलब्ध हैं।
- नये उपयोगकर्ता के लिए कमाण्ड लाइन का प्रयोग सीखना कठिन है, क्योंकि प्वॉइण्टिंग या क्लिकिंग के बजाय उपयोगकर्ता को आदेश याद रखना पड़ता है।
- लिनक्स केस सेंसीटिव (Case Sensitive) हैं अर्थात् इसमें अंग्रेजी वर्णमाला के छोटे और बड़े अक्षरों को अलग-अलग माना जाता है। इसलिए यदि गलती से किसी आदेश में छोटे अक्षर की जगह कैपिटल अक्षर का प्रयोग कर लिया गया, तो आदेश गलत हो जाता है।
इन कमियों के बावजूद भी लिनक्स बहुत लोकप्रिय है और दिन प्रति दिन इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है। इसके साथ ही उसमें चलने वाले सॉफ्टवेयर पैकेज भी तैयार किए जा रहे हैं। कई उपयोगकर्ता तो लिनक्स पर कार्य करना सीख जाने के बाद वापस विण्डोज पर आना पसन्द नहीं करते।
FAQs
लिनक्स मुफ़्त, ओपन-सोर्स और अत्यधिक customizable है। यह अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम की तुलना में अधिक सुरक्षित है, और वायरस और मैलवेयर से ग्रस्त नही होता। Linux अपनी स्थिरता और विश्वसनीयता के लिए भी जाना जाता है।
लिनक्स के कई अलग-अलग distributions हैं, जिनमें उबंटू, फेडोरा, डेबियन, सेंटओएस और आर्क Linux शामिल हैं। प्रत्येक distribution की अपनी अनूठी विशेषताएं हैं और इन्हे विभिन्न उद्देश्यों के लिए डिज़ाइन किया गया होता है।
कई सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन हैं जो लिनक्स के लिए उपलब्ध हैं, जिनमें web browsers, office productivity suites, multimedia players, और बहुत कुछ शामिल हैं। लिनक्स पर कई लोकप्रिय सॉफ्टवेयर के ओपन-सोर्स विकल्प भी उपलब्ध हैं।
आप लिनक्स पर Wine या PlayOnLinux जैसे compatibility सॉफ्टवेयर का उपयोग करके कई विंडोज एप्लिकेशन चला सकते हैं। हालांकि, सभी विंडोज एप्लिकेशन लिनक्स के साथ compatible नहीं है, इसलिए वैकल्पिक सॉफ़्टवेयर का उपयोग कर सकते है। अधिक जानकारी के लिए लिनक्स और विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम में अंतर लेख जरूर पढ़ें।
लिनक्स दूसरे ऑपरेटिंग सिस्टम की तुलना में उपयोग करना अधिक कठिन हो सकता है, खासकर उन उपयोगकर्ताओं के लिए जो कमांड लाइन इंटरफ़ेस को नहीं जानते। हालांकि, अधिकांश लिनक्स distributions अब ग्राफिकल यूजर इंटरफेस के साथ आते हैं जो दूसरे ऑपरेटिंग सिस्टम के सामान ही होते हैं।
हां, कई लिनक्स-आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम हैं जो स्मार्टफोन के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जैसे कि काली लिनक्स, उबंटू टच और सेलफिश ओएस।